नदी और तालाब के बीच संवाद
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नदी और समुद्र के बीच संवाद
नदी: समुद्र कैसे हो।
समुद्र: नदी मै ठीक हु।
नदी: और क्या चल रहा है।
समुद्र: कुछ नहीं, तुम बताओ परेशान लग रही हो नदी क्या हुआ।
नदी: क्या बताऊ समुद्र भाई आजकल लोगो को क्या हो गया नदियों को गंदा कर रहे है।
समुद्र: नदियों को ही नहीं समुद्र को गंदा कर रहे है।
नदी: लोग सब कुछ कूड़ा-कर्कट सब डाल देते है और कपड़े भी यंही धोते है।
समुद्र: लोग इतनी गन्दगी डाल रहे इन्हें नहीं हम उनकी जरूरत है इनके काम आते है।
नदी: सही कह रहे हो, हम प्राकृतिक संसाधन है।
समुद्र: एक दिन ये हमें नष्ट कर देंगे।
Explanation:
चित्रकूट। कहेटा गांव में नदियों तालाबों को संरक्षित करने और प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य को लेकर तीन दिवसीय नदी तालाब बचाओ संवाद यात्रा गांव से शुरू की गई। इसके पूर्व हुई बैठक में मंदाकिनी में प्रदूषण और बढ़ते खनन के अलावा तालाबों के विनाश पर चिंता व्यक्त की गई.
आंदोलन के संयोजक सुरेश रायकवार ने कहा कि पिछले पांच साल से उनका नदियों तालाबों को बचाने के लिए संघर्ष जारी है। नदी तालाबों का अर्थ सिर्फ आस्था से नहीं बल्कि आजीविका भी है। इससे मानव के अलावा पशु-पक्षी, कीड़े-मकौड़ों का और पेड़-पौधों का जीवन भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि मंदाकिनी, बागें और केन नदियों की सफाई कराई जाए नहीं तो आने वाले समय में जलसंकट पैदा हो जाएगा। अन्य वक्ताओं ने भी बातें कहीं। कुछ ने विचार रखा कि नदी तालाबों में प्रदूषण, खनन, अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। नदियों के ऊपर होने वाले कार्यक्रमों को प्रशासन अनुमति न दे। संवाद यात्रा लोगों को जागरूक बनाने के लिए है। पहले चरण में मछुवा समुदाय से, दूसरे में किसानों से और तीसरे चरण में धर्माचार्यों और बुद्धिजीवियों से संवाद किया जाएगा। चौथे चरण में समाजसेवियों, अधिकारियों, कर्मचारियों से विचार लिए जाएंगे