नदी तट पर आपने मेरी प्रार्थना नहीं स्वीकार की थी इस में प्रार्थना शब्द से क्या आशय है
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¿ नदी तट पर आपने मेरी प्रार्थना नहीं स्वीकार की थी इस में प्रार्थना शब्द से क्या आशय है ?
✎... ‘नदी तट पर आपने मेरी प्रार्थना नहीं स्वीकार की थी’, ‘नमक का दरोगा’ पाठ के इस कथन में प्रार्थना शब्द का अभिप्राय ‘आग्रह’ से है, वह आग्रह जो पंडित अलोपदीन ने दरोगा मुंशी वंशीधर से किया था। जब पंडित अलोपदिन को इस बात का अपराध बोध हुआ कि उन्होंने दरोगा बंशीधर के साथ अन्याय किया तो वह अपने कार्य के प्रायश्चित के लिए दरोगा बंशीधर को अपने यहां मैनेजर की नौकरी पर नियुक्त करने के लिए आए। उन्होंने फिर मुंशी वंशीधर आग्रह करते हुए ये कथन कहा कि ‘नदी तट पर आपने मेरी प्रार्थना नहीं स्वीकार की थी’, लेकिन आज उन्हें उनकी प्रार्थना यानी आग्रह स्वीकार करना पड़ेगा। क्योंकि यह आग्रह सही आग्रह है। इस आग्रह में रिश्वत को देने वाला आग्रह नही है, बल्कि ये अपने कुकृत्य के प्रायश्चित कोशिश करते हुए एक व्यक्ति का आग्रह है।
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