Hindi, asked by sachinpethe07, 1 month ago

नदिया के तट पर बैठो, तो हरदम गीत सुनाती, सूखा पड़ जाए तो भी, कितनों की प्यास बुझाती, बिना शुल्क जल दे देती है, कितनी आए महँगाई रे । कल-कल करती नदिया कहती, मुझे बचा लो भाई रे इस कविता का भावार्थ क्या है?​

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Answered by SHABEEBSADIQ89
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Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों से कवि कहना चाहते हैं कि अगर आप नदियों के तट पर बैठो तो वह आपको अपने मधुर गीत सुनाती है कल कल छल छल की आवाज में, कितना भी सूखा क्यों ना पड़ जाए, शहर में चाहे कितनी भी महंगाई हो जाए वह हमेशा आपको मुफ्त में जल देती है कभी भी आपसे उसके बदले में कुछ नहीं मांगती।

आज वही नदी अपने जीवित रहने के लिए मनुष्य से भीख मांग रही है । मनुष्य ने प्रदूषण फैलाकर प्रकृति का इतना बुरा हाल कर दिया है कि सब जीव-जंतु का रहना मुश्किल होता जा रहा है मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग भी करता है और फिर उन्हीं का दोहन/शोषण भी करता है ।

इस कविता के द्वारा कभी प्रकृति और प्रदूषण के प्रति जागरूकता पैदा करना चाहते हैं l

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