Hindi, asked by sh5is7hreethashmip, 1 year ago


नदियों में बढ़ता प्रदूषण पर चित्र सहित लेख लिखिए |

Answers

Answered by VRAAA
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प्रदूषण अब घर घर की बोल चाल बन गई है। आधुनिकता तथा सामाजिक विकास ने सुविधाओं के साथ मुश्किलें भी पैदा कर दीं हैं। 
जल जीवन का दूसरा नाम है। पानी बिना कौन जिए। सृष्टि स्वयं जल पर आधारित है।और जल हमें नदियों से मिलता है। नदियाँ प्रकृति की महान देन हैं। सभ्यता का जन्म नदियों के किनारे हुआ। जल का उपयोग मानव हर तरह से करता है। पर दुख की बात यह है कि मानव ही इस वरदान को शाप में परिवर्तित कर रहा है।घरों में,कारखानों में, खेतों में,सर्वत्र पानी की आवश्यकता होती है। पर यही नदी हमारी ही दुराचरण के कारण दूषित हो रही है। कारखानों के रासायनिक वस्तुओं को नदियों में डाला जाता है। खेतों की कीटनाशक दवाओं से धुलकर पानी सीधा  नदियों में मिलता है। इससे नदियों के जीव जंतु मरते है। अधिकांश नगर नदियों के किनारे बसें है। लोग इसका पूरा उपयोग करने लगे हैं। अब गंदे कपड़ों की धुलाई, नहाना,भैसों का स्नान, सब घरेलू काम नदियों के सहारे होने लगा है। सुना जाता है कि मृत शरीरों को भी लाचारी व दरिद्रता वश नदियों में फ़ैक देते हैं। यह केवल गाँव तक ही सीमित नहीं है अपितु काशी जैसे पुण्य नगरों में पवित्र गंगा नदी में भी यह दुष्कर्म प्रचलित है। नदियों में बढ़ती प्रदूषण की रोक के लिए सरकार ने बहुत योजनाएँ बनाए है और उस पर अमल भी हुई है । इसके बावजूद नदियों की दुर्दशा में कोई सुधार नही हुआ है। नदियाँ हमारी माताएँ हैं, जीवनदाता हैं हर  नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह नदियों को प्रदूषित न करें। जल की स्वच्छता का ध्यान रखे तथा पूज्य नदियों को पनपने जीवित रहने में सहायता प्रदान करें।


VRAAA: hope it helps. add your own words to make it your own
Answered by sachi2007singh
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Answer:

Explanation:

जल प्रदूषण, से अभिप्राय जल निकायों जैसे कि, झीलों, नदियों, समुद्रों और भूजल के पानी के संदूषित होने से है। जल प्रदूषण, इन जल निकायों के पादपों और जीवों को प्रभावित करता है और सर्वदा यह प्रभाव न सिर्फ इन जीवों या पादपों के लिए अपितु संपूर्ण जैविक तंत्र के लिए विनाशकारी होता है।

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