नवाबों की जीवन शैली ke bar me bato alag-alag topic me
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खीरों के संबंध में नवाब के व्यवहार को उनकी सनक माना जा सकता है, क्योंकि नवाब को अपने अभिजात्य वर्ग के होने का अभिमान होता है, उनमें अक्सर झूठी शान दिखाने की भी आदत होती है। चाहे कुछ भी हो जाये पर उनमें नवाबी वाला पाखंड नही जाता। ... अब नवाब साहब ठहरे नवाब। वो खुद से अपना जूता भी नही पहनते थे, उनका नौकर आकर पहनाता
नवाब साहब ने खीरे को खाने योग्य बनाने के लिए पहले उसे अच्छी तरह धोया फिर तौलिए से पोछा। अब उन्होंने चाकू निकालकर खीरों के सिरे काटे और गोदकर झाग निकाला। फिर उन्होंने खीरों को छीला और फाँकों में काटकर करीने से उत्तरः नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय देने के लिए खीरा खाने के स्थान पर उसकी फाँकों को सूँघ-सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया और वे इस क्रियाकलाप से थक गए ऐसा दिखाने के लिए लेट गए और लेखक को दिखाने के लिए डकार भी ली।
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नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता उस समय नहीं दिखायी जब वह डिब्बे में आया। ... उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था। प्रश्न 6.