नवाब साहब ने खीरे की सब फाँकों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से हाथ पोंछ लिए और गर्व से गुलाबी आँखों से हमारी ओर देख लिया, मानो कह रहे हों- यह है खानदानी रईसों का तरीका।
नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा-यह है खानदानी तहजीब, नफ़ासत और नजाकत।
हम गौर कर रहे थे, खीरा इस्तेमाल करने को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से संतुष्ट होने का सूक्ष्म, नफीस या एब्सट्रैक्ट तरीका जरूर कहा जा सकता है परंतु क्या ऐसे तरीके से उदर की तृप्ति भी हो सकती है?
नवाब साहब की ओर से भरे पेट के ऊँचे डकार का शब्द सुनाई दिया और नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कह दिया, ‘खीरा लजीज होता है लेकिन होता है सकील, नामुराद मेदे पर बोझ डाल देता है।’
ज्ञान-चक्षु खुल गए! पहचाना- ये हैं नयी कहानी के लेखक।
1
नवाब साहब ने खीरे खाने का आनंद किस तरह लिया?
नमक-मिर्च के साथ खाकर
बिना नमक-मिर्च के खीरे खाकर
खीरे की फाँकों को सूँघकर
खीरे के मुलायम भाग को खाकर
Answers
Answered by
1
Answer:
खीरे की फाँकों को सूँघकर
hope it's help you...
please follow me..
Similar questions