नवपाषाण काल की दो विशेषताएं लिखिये
Answers
Explanation:
Scotbuzz
नवपाषाण काल की विशेषताएँ
posted by Bandey December 21, 2018
In this page:
तकनीकी विकास और औजार -
महत्वपूर्ण स्थल -
जैरिको -
बीद्या -
अबु हुरेथरा -
एन-गजल -
मेरियबिट -
मेहरगढ -
गुकराल -
श्यालक -
जैरिमों -
नवपाषाण काल की विशेषताएँ
कृषि -
औजार बनाने की विशेष तकनीक -
औजार -
अन्य-उपकरण -
कातने या बुनने की कला -
बर्तन निर्माण -
पशुपालन -
मृदभांड बनाने की कला -
उद्योग धंधे -
व्यापार -
आर्थिक व्यवस्था -
श्रम विभाजन -
स्थाई जीवन को प्रोत्साहन -
सामाजिक व्यवस्था -
धर्म -
कला तथा वृहद पाषाण -
बौद्धिक विकास -
ज्ञान विज्ञान -
Related post
Comments
नवपाषाण शब्द उस काल को सूचित करता है जब मनुष्य को धातु के बारे में जानकारी नही थी। परन्तु उसने स्थायी निवास, पशु-पालन, कृषि कर्म, चाक पर निर्मित मृदभांड बनाने शुरू कर दिए थे। इस काल की जलवायु लगभग आज कल के समान थी इसलिए ऐसे पौधे पैदा हुए जो लगभग आज के गेंहू तथा जौ के समान थे। मानव ने उनमें से दाने निकालकर भोजन के रूप में प्रयुक्त करना शुरू कर दिया और उनके पकने के विषय में भी जानकारी एकित्रात की। इस प्रकार स्थाई निवास की शुरूआत हुई। जिस कारण पशुपालन और कृषि कर्म को प्रोत्साहन मिला। कृषि और पशुपालन दोनों एक-दूसरे के पूरक है।
तकनीकी विकास और औजार -
नवपाषाण संस्कृति समाज में हुए निम्न परिवर्तनों को दर्शाता है। तकनीकी तौर पर मुख्य परिवर्तन यह हुआ कि इस काल के मानव ने औजारों को घर्षित कर उन्हें पालिश करके चमकदार बना दिया। आर्थिक तौर पर परिवर्तन यह हुआ कि इस काल का मानव खाद्य संग्रहकर्ता से खाद्य उत्पादनकर्ता बन गया। नवपाषाण स्तर पर धातुक्रम के व्यापक संकेत नही मिलते, वास्तविक नवपाषाण काल धातुरहित माना जाता है। जहां कहीं नवपाषाण स्तर पर धातु की सीमित मात्रा दिखाई दी उस काल को पुरातत्वेताओं ने ताम्रपाषाण काल की संज्ञा दी है।