Naye cinema aur purane cinema mein antar
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पुराने सिनेमा काला-सफ़ेद (ब्लैक एंड वैट) होते थे | उनमें परिवार के बारे में और बच्चों के लिए ज्यादा सिनेमा होते थे| और सिनमा मानव ह्रदय के नजदीक होता था| आराम से चलती थी कथा | और अभिनेत्रियों के मुख पर बहुत मेक अप होता था| आजकल उतना मेक अप नहीं होता है|
आजकल के सिनेमा में आनिएशन और कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत होता है | पुराने सिनेमा में गाने बहुत मधुर होते थे| अभिनेत्री बहुत कष्ट करते थे एक शॉट देने के लिए| आजकल तो एक सिनमा को बनाने के लिए कुछ महीने काफी है|
Answer:
नई सिनेमा बहुत तेज होते हैं। वे ज्यादातर लड़कों के या लड़कियों के प्यार के बारे में होते हैं। या बहुत हिंसात्मक होते हैं। इनमें पाश्चात्य प्रदेशों में शूटिंग होती है। पाश्चात्य स्टाइल पाश्चात्य संस्कृति के ऊपर भी बहुत सिनेमा आये हुए हैं। इनमें बहुत ज्यादा बजेट होता है साईं करोड़ों रुपये का। और आजकल सिनेमा पाश्चात्य देशों में रहने वाले भारतीय वासियों के लिए भी बनाया जाता है।
पुराने सिनेमा काला-सफ़ेद (ब्लैक एंड वैट) होते थे। उनमें परिवार के बारे में और बच्चों के लिए ज्यादा सिनेमा होते थे। और सिनमा मानव ह्रदय के नजदीक होता था। आराम से चलती थी कथा । और अभिनेत्रियों के मुख पर बहुत मेक अप होता था। आजकल उतना मेक अप नहीं होता है।
आजकल के सिनेमा में आनिएशन और कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत होता है। पुराने सिनेमा में गाने बहुत मधुर होते थे। अभिनेत्री बहुत कष्ट करते थे एक शॉट देने के लिए। आजकल तो एक सिनमा को बनाने के लिए कुछ महीने काफी है।