Neer sabd kahkar kavi ne kis aur sanket kiya hai
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ये शब्द कवि की श्रृंगार से पूर्ण कल्पनाओं तथा उसकी पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। कवि के अनुसार वह अपनी कविताओं में श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ किया करता था। जब उसने नव-वधु के रूप में अपनी पुत्री को देखा, तो उसे लगा जैसे उसकी पुत्री के सौंदर्य में वह कल्पनाएँ साकार हो गई हैं और धरती पर उतर आयी हैं। अत: आकाश को वह श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ तथा मही के रूप में अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करता है
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