Hindi, asked by Samyakjain17, 1 year ago

Niband on Bharat me kisano ki stithi

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Answered by kvnmurty
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                      भारत में किसानों की  स्थिति

  
भारत देश में गाँव, किसान और खेतों की बहुत बड़ा भूमिका है ।  हमारे देश में बहुत तर लोग गवों में रहते हैं और अपने खेतों में या दूसरों के गवों में काम करते हैं ।  खेतीबारी भारत का बहुत पुराना और सब से बडा पेशा है । 

   
हमारे देश की यह परंपरा है कि किसान को हम हमारे अन्नदाता कहते हैं ।  क्योंकि वह दिन रात मेहनत करके हम सब के लिए अनाज , गेहूं, तरकारी, दाल इत्यादि  उत्पन्न करता है।   किसान और खेतीबारी इतना महत्वपूर्ण हैं कि  कृषि की स्थिति को पर्यवेक्षण करने के लिए एक मंत्रालय भी है। हर साल का हमारा आय – व्यय विवरण (बजटकार्य) उस साल की उत्पादन  पर निर्भर है ।  हमारे देश का श्रेष्ट चत्वर भी खेतीबारी पर आश्रित होता है।

     
तब तो हमको लगता हैं कि किसान की आम्दानी बहुत ज्यादा होना चाहिए । कृषक आराम से जीवन बिताता होगा ।   लेकिन वास्तविकता यह है कि वो दयनीय स्थिति में है। कोई आदमी या औरत आजकल किसान नहीं बनना चाहते हैं । लेकिन मजबूरन कृषक बनते हैं । अपने बच्चों को मजदूर या पढ़ाकर कर्मचारी बना  देते हैं।    इस के लिए बहुत से वजह हैं।

   
खेतीबारी का उत्पादन बेचने से उन्हे ज्यादा (कीमत) पैसे नहीं मिलते हैं । अक्सर नुकसान भी भूकते हैं। उस आम्दानी से वे अपने घर अच्छी तरह से नहीं चला  सकते हैं। फिर जब उन्हे खाने और जीने के वस्तु जब खरीदना पड़ता है, तो उन्हें अधिक दर (कीमत) देकर खरीदना पड़ता है।  दलाल और खेती का उत्पादनों से जो व्यावसाय करते  हैं, वे बहुत ज्यादा कमाते हैं। वे कभी नुकसान नहीं भुकते हैं।

   
सरकार अक्सर किसानों का मदद करता है।  जिन कृषकों के पास मूलधन नहीं होता, उन्हें सरकार बैंक पैसे उधार देते हैं। जब किसी साल में बारिश पर्याप्त नहीं होता, या कोई चक्रवात (भीषण आंधी) फसल की नष्ट कर देता है, या कोई बाढ़ खेतों और अनाजों को डूबा देता है, तब सरकार पिछले सालों का  उधार माफ कर देता है।  यह एक अच्छी बात है ।  फिर भी प्रकृतिक विपदाओं से किसान बच नहीं पा रहा है।  देश में हर साल कुछ राज्यों में बाढ़ , कुछ राज्यों में अकाल, कुछ राज्यों में आँधी तूफान, चक्रवात, घटित हो रहे  हैं।  और किसान शिकार हो रहा है। गरीब किसान तो जीकर भी मुर्दा जैसा बन जाता है।   जिन के पास विशाल  खेत हो, या उपजाऊ खेत हो, वह किसान भाग्यशाली है। जिन के पास बहुत कम खेत हो, या दूसरे के खेत में काम करता हो, वह मजदूर से भी बुरी हाल में होता है।  इसी लिए बहुत से लोग गाँव छोड़कर शहरों में  प्रवासी बनकर मजदूरी कर रहे  हैं।

     
हमारे देश के चालक छलिया चोर किसानो को भी नहीं छोड़ते। जाली बीज , नकली खाद , नकली दवा, नकली पीड़कनाशीय द्रव्य  बेच देते हैं।   हम अक्सर ये खबर अखबारों में पढ़ते हैं।  बहुत सारे किसान या तो दोखा खाकर, या तो नुकसान पाकर, या तो कोई बचाने वाले की न होने से, अपने जीवन से तंग होकर , निराश होकर आत्महत्या कर लेते हैं ।  यह तो बहुत दयनीय स्थिति है।

    
किसानों  की सहायता के लिए अनुसंधान तथा विकास कार्यालय और विभाग हैं। वैज्ञानिक हैं। हर खेत के लिए  उचित फसल और खेतीबारी की तकनीक , उचित यंत्र की सूचनाएँ देते  हैं।  हर जिले की शासन व्यवस्था किसानों की स्थिति की अनुश्रवण करता है ।  किसान भी आजकल पढ़ाई करते हैं, सब चीज जानते हैं, अपने स्थिति को पहचानते हैं, प्रौद्योगिकी का फाइदा उठाते हैं ।  अपने जीवन की स्थिति को धीरे धीरे सुधार रहे हैं।

    
हमारे देश में दुग्धशाला (डेरी उद्योग) फाइदे से चलता है।  कृषक की स्थिति में विकास  धीरे धीरे आ रहा है। कुछ सालों में कृषकों का भी कर्मचारियों और अफसरों जैसे आम्दानी हो पाएगा।  मैं यह आशा करता हूँ।  विदेशों में कृषकों का बहुत सम्मान होता है।  मैं आशा करता हूँ कि भारत में किसानों को भी सब शहर वाले सम्मान करेंगे ।  क्योंकि किसान अनाज उगाता है, तो हम चैन से अपना पढ़ाई, काम दंधा, कमाई, और अपने दिल का मनोरंजन कर सकते हैं।

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