Hindi, asked by g438262, 1 month ago

nibandh bata do koi vartmaan bharat ki samasya​

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Answered by geniusinfinite
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Explanation:

स्वतन्त्रता के उपरान्त भारत का यद्यपि चहुमुखी विकास हुआ है, तथापि हम उतनी तेजी से विकसित नहीं हो पाए हैं, जितनी तेजी से जापान, कोरिया, जर्मनी जैसे देश विकसित हुए।

70 वर्ष किसी राष्ट्र के लिए कम नहीं होते और यह भी उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन एवं तकनीकी ज्ञान की दृष्टि से भारत का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। फिर क्या कारण है कि हम अभी तक केवल विकासशील राष्ट्र ही हैं और अपनी जनता को जीवन के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएं यथा-शुद्ध पेयजल तक पूरी तरह उपलब्ध नहीं करा पाए हैं।

इसका मूल कारण है कि हम कुछ ऐसी मूलभूत समस्याओं से घिरे हुए हैं, जिन पर प्रयास के बावजूद काबू नहीं पाया जा सका है। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी इन समस्याओं से अवगत हों और उनसे छुटकारा पाने की दशा में अग्रसर हों।

हमारी प्रमुख समस्याएं

भारत को आज जिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, उनमें प्रमुख

इस प्रकार हैं

> गरीबी और बेरोजगारी

> अशिक्षा

১ क्षेत्रवाद एवं भाषावाद

> साम्प्रदायिकता एवं जातिवाद

> बढ़ती हुई जनसंख्याजनसंख्या

दहेज प्रथा

> नशाखोरी

गरीबी और बेरोजगारी की समस्या

भारत की प्रमुख समस्या है गरीबी और बेरोजगारी, जिसका मूल कारण है बढ़ती हुई जनसंख्या। स्वतन्त्रता से पूर्व जहां भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड थी, वहीं वर्ष 2011 में जनसख्या 125 करोड़ को पार कर गई। इसका तात्पर्य यह है कि जनसंख्या वृद्धि की दर 13.3 प्रतिशत है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि भारत में गरीबी और बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि हुई है।

आज भी भारत में 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे अपनी गुजर-बसर करने को बाध्य हैं। जनसंख्या विस्फोट ने जहां हमें जीवन की मूलभत आवश्यकताओं भोजन, आवास, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, विधुत, आदि से वंचित किया है, वहीं बेरोजगारी बढाने में योगदान किया है। प्रतिवर्ष लाखों बेरोजगारों की फौज तैयार हो रही है। जितनी नौकरियां हैं, उसके अनुपात में काम मांगने वालों की संख्या हजार गुनी है।

गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। बेरोजगार युवक शहरों की ओर दौड़ रहे हैं जिससे नगरों में जनसंख्या का बोझ बढ़ रहा है, आवास समस्या उत्पन्न हो रही है, अपराध बढ़ रहे हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या को शिक्षा देना भी कोई आसान काम नहीं है।

बड़ी जनसंख्या को शिक्षा देना भी कोई आसान काम नहीं है।

हमें अपने भरपूर प्रयासों के बाद भी इस क्षेत्र में विशेष कामयाबी नहीं मिल सकी है। आज दुनिया में जितने लोग अशिक्षित हैं, उसके आधे तो केवल भारतीय हैं। जनसंख्या के इस दबाव ने पर्यावरण को बिगाड़ने में भी अपनी भूमिका का निर्वाह किया है ।

जनसंख्या वृद्धि की समस्या

बढ़ती हुई जनसंख्या को कम करने के लिए अनिवार्य परिवार नियोजन की स्कीम लागू की जानी चाहिए और चीन की तरह प्रत्येक दम्पति को केवल एक बच्चा उत्पन्न करने की छूट होनी चाहिए। विवाह की आयु में वृद्धि करके भी इस समस्या पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।

अशिक्षा भी जनसंख्या वद्धि का कारण है। अतः लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी देकर, जन-चेतना के द्वारा जनजागरण करके इस समस्या पर किसी हद तक काबू पाया जा सकता है। यह कहना ठीक नहीं होगा कि इनसे कोई लाभ नहीं हुआ।

लोगों का जीवन स्तर पहले से सुधरा है और मध्यम वर्ग के लोगों की व्यय करने की क्षमता में वृद्धि हुई तथा भारत एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार विश्व में माना जाने लगा है।

भारत सरकार ने जवाहर रोजगार योजना, प्रधानमन्त्री रोजगार योजना, आदि के द्वारा भी बेरोजगारी पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है।

अशिक्षा की समस्या

अशिक्षा भारत की दूसरी बड़ी समस्या है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 65.38 प्रतिशत लोग ही शिक्षित हैं।

अशिक्षा के अभिशाप से ग्रस्त लोगों को शोषण के चक्र में पिसना पड़ता है, उन्हें विकास के बेहतर अवसर उपलब्ध नहीं होते और वे अपने बच्चों को देश का भावी सुशिक्षित नागरिक बना पाने में पायः सफल नहीं हो पाते।

सरकार यद्यपि शिक्षा के लिए पर्याप्त धन व्यय कर रही है परंतु सरकारी योजनाए इस दिशा में अधिक सफल नहीं रही हैं। प्राथमिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा पर विशेष ध्यान देकर निरक्षर को साक्षर किया जा रहा है।

उपसंहार

संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि हम अनेक समस्याओं से घिरे हुए हैं। यदि इन समस्याओं पर काबू पा लें तो निश्चित रूप से भारत दुनिया के किसी भी विकसित राष्ट्र से बराबरी ही नहीं कर लेगा अपितु उससे आगे निकल जाएगा।

Ab aapke paas pura content hai. ismein aapki pareshani evam questions ka hal nikal jaayega

Pls brainliest mark karna. Pls bhai

Answered by Bobbysingh20152007
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Answer:

hope it helps you here's the answer of your questions..

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