nibandh likhna hai विद्यार्थियों में बढ़ता क्रोध : कारण और निवारण
संकेत बिंदु-1- भूमिका 2- आज का भौतिकवादी युग और विद्यार्थी 3- आधुनिक जीवनशैली
4- हिंसक कंप्यूटर गेम्स व फिल्मों काप्रभाव 5- जीवनमूल्यों से युवा पीढ़ी की बढ़ती दूरी 6-
कामकाजी माता-पिता द्वारा समय न दिया जाना उपाय : बच्चों को संस्कारों से
जोड़ें 7- माता-पिता बच्चों को संस्कारों से जोड़ें 8- उपसंहार
Answers
विद्यार्थियों में बढ़ता क्रोध : कारण और निवारण , इस विषय पर निबंध लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
प्रस्तावना :
पुराने जमाने में एक कहावत थी कि माता पिता के चरणों में स्वर्ग होता है। ये कहा जाता था कि माता - पिता की सेवा कर लो , भगवान के दर्शन हो जाएंगे। बच्चे माता पूरा की आज्ञा को सर्वोपरि समझते थे।
राजा राम ने तो पिता दशरथ के दिए गए वचन को पूरा करने के लिए वनवास जाना तक स्वीकार कर लिया।
विस्तार
आज जब मशीनी युग बन गया है तो बच्चों को समय व्यतीत करने के लिए मोबाइल मिल गई है। मोबाइल न मिली न जाने क्या मिल गया , बच्चे तो बड़ो का आदर करना तक भूल गए है।
आधुनिक शैली अपनाने से बच्चों ने अपना हृदय भी परिवर्तित कर दिया है। सारा दिन बच्चे माता पिता से दूर अपने कमरे में , मोबाइल , लैपटॉप का उपयोग करते रहते है।सारा दिन सोशल मीडिया फेस बुक , इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालते रहते है, वीडियो गेम खेलते है ।
पहले टेलीविजन भी सभी साथ मिल कर देखा करते थे, अब तो जिसे जो फिल्म चाहिए , कंप्यूटर या मोबाइल पर देख लेता है।
बच्चों से माता पिता कुछ कहते है तो वे कह उठते है " भाषण मत दीजिए, डिस्टर्ब मत कीजिए।"
यह सारा प्रभाव कुछ आधुनिक तकनीक का है तथा कुछ यह कि काम काजी माता पिता का बच्चों को समय न दे पाना।
आजकल शहरों में यह प्रचलन हो गया है, मां और पापा दोनों ऑफिस चले जाते है बच्चे को बेबी सिटिंग में छोड़कर या घर में आया के हवाले छोड़ कर।ऐसे में बच्चे को अपनापन कैसे मिलेगा, उसमे प्यार की भावना कैसे उत्पन्न होगी? अकेलेपन में युवा पीढ़ी में नशा लेने की आदत बन जाती है।
उपसंहार
अब इन सभी बातों का सार यह है कि कितना हो सके बच्चो को सोशल मीडिया से दूर रखे। अपने पास रखे व प्यार से रखे। अच्छे संस्कार दे जिससे वे सभी का आदर कर सके , सभी को इज्जत दें।
#SPJ1