Hindi, asked by swatiyadav31, 9 months ago

nibandh man ke hare har hai​

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It is the Mind which Wins and Defeats Essay In Hindi

मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – It is the Mind which Wins and Defeats Essay In Hindi

June 8, 2020 by Laxmi

मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – Essay On It is the Mind which Wins and Defeats” in Hindi

रूपरेखा–

प्रस्तावना,

उक्ति का आशय,

मन की दृढ़ता के कुछ उदाहरण,

कर्म के सम्पादन में मन की शक्ति,

सफलता की कुंजी : मन की स्थिरता, धैर्य एवं सतत कर्म,

मन को शक्तिसम्पन्न कैसे किया जाए?

उपसंहार।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – Man Ke Haare Haar Hai Man Ke Jeete Jeet Par Nibandh

प्रस्तावना–

संस्कृत की एक कहावत है–’मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः’ अर्थात् मन ही मनुष्य के बन्धन और मोक्ष का कारण है। तात्पर्य यह है कि मन ही मनुष्य को सांसारिक बन्धनों में बाँधता है और मन ही बन्धनों से छुटकारा दिलाता है। यदि मन न चाहे तो व्यक्ति बड़े–से–बड़े बन्धनों की भी उपेक्षा कर सकता है। शंकराचार्य ने कहा है कि “जिसने मन को जीत लिया, उसने जगत् को जीत लिया।” मन ही मनुष्य को स्वर्ग या नरक में बिठा देता है। स्वर्ग या नरक में जाने की कुंजी भगवान् ने हमारे हाथों में ही दे रखी है।

उक्ति का आशय–मन के महत्त्व पर विचार करने के उपरान्त प्रकरण सम्बन्धी उक्ति के आशय पर विचार किया जाना आवश्यक है। यह उक्ति अपने पूर्ण रूप में इस प्रकार है-

दुःख–सुख सब कहँ परत है, पौरुष तजहु न मीत।

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत॥ अर्थात् दुःख और सुख तो सभी पर पड़ा करते हैं, इसलिए अपना पौरुष मत छोड़ो; क्योंकि हार और जीत तो केवल मन के मानने अथवा न मानने पर ही निर्भर है, अर्थात् मन के द्वारा हार स्वीकार किए जाने पर व्यक्ति की हार सुनिश्चित है। इसके विपरीत यदि व्यक्ति का मन हार स्वीकार नहीं करता तो विपरीत परिस्थितियों में भी विजयश्री उसके चरण चूमती है। जय–पराजय, हानि–लाभ, यश–अपयश और दुःख–सुख सब मन के ही कारण हैं; इसलिए व्यक्ति जैसा अनुभव करेगा वैसा ही वह बनेगा।

मन की दृढ़ता के कुछ उदाहरण हमारे सामने ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनमें मन की संकल्प–शक्ति के द्वारा व्यक्तियों ने अपनी हार को विजयश्री में परिवर्तित कर दिया। महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत का कारण यही था कि श्रीकृष्ण ने उनके मनोबल को दृढ़ कर दिया था। नचिकेता ने न केवल मृत्यु को पराजित किया, अपितु यमराज से अपनी इच्छानुसार वरदान भी प्राप्त किए। सावित्री के मन ने यमराज के सामने भी हार नहीं मानी और अन्त में अपने पति को मृत्यु के मुख से निकाल लाने में सफलता प्राप्त की।

Explanation:

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