nibandh manoranjan ke adunik sadhan
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समय और सभ्यता के हिसाब से मनोरंजन के साधनों में बदलाव आते रहे है. पहले के समय में आज की तरह टेलीविजन, मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट, आदि चीजे उपलब्ध नहीं थी. मनोरंजन के कई प्रकार के दुसरे साधन हुआ करते थे, जिसे लोग अलग अलग तरह से उपयोग में लेते थे. पहले घुड़सवारी, शतरंज, चौपाल, ढोलक, और कई सारे क्षेत्रीय संगीतो के माध्यम से लोग अपने शौक के अनुसार चीजो का उपयोग करके मनोरंजन करते थे.
Answer:
वर्तमान युग विज्ञान का युग है । आज वैज्ञानिकों ने नए-नए आविष्कार करने की होड़ लगी हुई है । प्रत्यक वैज्ञानिक कोई न कोई आविष्कार कर नाम कमाना चाहता है ।
प्राचीन काल में बड़े-बड़े लोग अपना मनोरंजन जानवरों का शिकार करके या दो जानवरों के बीच लड़ाई कराके करते थे । जैसे कि आज भी मुर्गे की लड़ाई कराके या देखकर लोग आनन्दित होते हैं । उस समय मनोरंजन के साधन कम थे ।
समाज के विकास के साथ-साथ मनोरंजन कार्यक्रमों की बाद सी आ गई है । आज का मानव व्यस्तता के कारण थक जाता है । वह मनोरंजन के लिए साधन ढूंढता है जिससे वह प्रसन्नता अनुभव कर सके । प्राचीन समय से ही मानव मनोरंजन प्रिय रहा है ।
भारत की नाट्य कला विश्व प्रसिद्ध है और उसका इतिहास नितान्त गौरवशाली रहा है । पहले संस्कृत के नाटक रंगमंच पर खेले जाते थे । धीरे-धीरे हिन्दी के नाटक भी लोकप्रिय हो गए । लोग नाटक देखने के लिए नाटकशालाओं में जाते थे । वहाँ प्रत्यक्ष ही नाटकों के पात्रों के कार्य की प्रशंसा भी करते थे ।
पात्रों को रंगमंच पर उतरने से पहले काफी परिश्रम करना पड़ता था और बाद में भी; क्योंकि एक ही नाटक भिन्न-भिन्न जगहों पर बार-बार खेला जाता था । वर्तमान समय में रंगमंच का स्थान चलचित्रों ने ले लिया । जहाँ एक स्थान पर बैठे लोग आराम से सिनेमा देख सकते हैं ।
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