Hindi, asked by Himanshuchhoker, 1 year ago

nibandh mera givan lakshy

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Answered by abdphysics
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मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।

इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।

मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।

Answered by anjalirathore20
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एक व्यक्ति रेलयात्रा हेतु जाने के लिए टिकट खिड़की पर पहुँचा । उसने खिड़की पर पैसे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे रेल टिकट दे दो । परतु जब टिकट बाबू ने उससे गंतव्य स्थान का नाम पूछा तब उसने उत्तर दिया, ”कहीं का भी दे दो ।” यह उत्तर सामान्य तौर पर कितना हास्यापद है ।

यात्री रेलयात्रा पर जाना चाहता है परंतु उसे यह नहीं मालूम कि वह कहाँ जाना चाहता है । जीवन यात्रा भी कुछ इसी की भाँति है । लक्ष्यविहीन व्यक्ति की स्थिति भी इसी यात्री की भाँति होती है । अत: जीवन में लक्ष्य का होना नितांत आवश्यक है ।

लक्ष्यविहीन व्यक्ति जीवन पर्यंत इधर-उधर भटकता रहता है । मनुष्य यदि लक्ष्यविहीन श्रम करता है तो उसे निराशा और थकान के अतिरिक्त कुछ और प्राप्त नहीं होता । जीवन में लक्ष्य के बिना मनुष्य की शक्तियाँ बिखरी हुई होती हैं जिसके फलस्वरूप वह स्वयं को किसी भी कार्य पर स्थायी रूप से एकाग्र नहीं कर पाता है । अत: यह आवश्यक है कि राह पर चलने से पूर्व हमें अपने गंतव्य की जानकारी हो ।

हिंदी के प्रख्यात कवि हरिवंशराय बच्चन की ये पंक्तियाँ यहाँ उपयुक्त हैं:

”पूर्व चलने के बटोही वाट की पहचान कर ले । पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकीकहानीहाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी ।”

ADVERTISEMENTS:

मेरे जीवन का भी एक लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर एक चिकित्सक बनूँ । संभवत: मेरी तरह कई लोगों का यही लक्ष्य होता है । परंतु मैंने अपने लक्ष्य का निर्धारण मात्र इसलिए नहीं किया कि मैं अधिक धन अर्जित करना चाहता हूँ अथवा अपना नाम अखबार के मुखपृष्ठ पर देखना चाहता हूँ । मेरे लक्ष्य निर्धारण में मेरी यह अभिलाषा निहित है कि इसके माध्यम से मैं उन लोगों तक चिकित्सा का लाभ पहुँचा सकूँ जो जरूरतमंद हैं परंतु धनाभाव के कारण अपना इलाज नहीं करा सकते ।

मेरा यह लक्ष्य अनेक परिवारों के लिए सहारा बन सकता है अथवा लोगों को असमय काल का शिकार बनने से रोक सकता है । मेरा मानना है कि सभी चिकित्सक यदि मरीजों का इलाज निजी धर्म व कर्तव्य मानकर करें, मोटी फीस को ही एकमात्र लक्ष्य मानकर न चलें तो अनेक व्यक्तियों को लाभ मिल सकता है ।

आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है । यहाँ सब कुछ प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है । चिकित्सा का क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें सफल होने के लिए कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है । मैं इस राह में आने वाली बाधाओं को भली-भाँति समझता हूँ ।

इस संदर्भ में मैंने अपने अग्रज तथा अन्य वरिष्ठ मित्रों से सलाह ली है । उन्होंने बड़े ही उत्साह एवं अपनत्व से मुझे उचित मार्गदर्शन दिया है । अत: मैं भविष्य में आने वाली समस्त बाधाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए कृत संकल्पित हूँ ।

अपने विषय का गहन अध्ययन एवं पूर्ण जानकारी के पश्चात् ही मुझे आत्मसंतोष की प्राप्ति होगी क्योंकि चिकित्सा के अपने इस ज्ञान से मैं वास्तविक रूप में लोगों की सच्ची सेवा कर सकूँगा । हमारे देश में ही नहीं अपितु समस्त संसार में चिकित्सक का विशेष स्थान है । वह घायलों का इलाज करता है तथा अनेक अवसरों पर मृत्यु के कगार पर पहुँचे व्यक्ति को भी एक नया जीवनदान देता है । इन परिस्थितियों में वह लोगों के बुझते मन के समक्ष आशा का दीप बनकर प्रज्वलित होता है ।

मुझे अपने लक्ष्य के चुनाव में मेरे माता-पिता व अन्य बड़ों ने पूर्ण सहयोग दिया है । उन्होंने इस राह में आने वाली कठिनाइयों व इसके भविष्य में आने वाले सभी पहलुओं से मुझे भली-भाँति परिचित कराया है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि सच्ची लगन एवं अथक परिश्रम से निस्संदेह मनुष्य को सफलता प्राप्त होती है । कहते हैं कि भाग्य भी उन्हीं लोगों का साथ देता है जो कर्मवीर होते हैं ।

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