CBSE BOARD X, asked by kashish200722, 8 months ago

Nibandh on Ablaa hai Naari in hindi​

Answers

Answered by ms8367786
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Answer:

हमारे देश में प्राचीनकाल से ही नारी को सम्मान दिया जाता हैं. हमारे यहाँ नारी नर को लक्ष्मी नारायण का प्रतिरूप माना गया हैं. साथ ही यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता जैसे कथन से नारी को विशेष गरिमा प्रदान की गई हैं.

वास्तव में भारतीय नारी विद्या, बुद्धि, शौर्य और चरित्र के क्षेत्र में आदर्श रही हैं. प्राचीनकाल में नारी को जो सम्मान प्राप्त रहा, वह मध्यकाल में जाता रहा, परन्तु वर्तमान में नारी वह सम्मान पुनः प्राप्त करने में आगे आ रही हैं.

नारी का प्राचीन स्वरूप- वैदिक काल में भारतीय नारी का स्वरूप बहुत सम्मानीय था. उस समय नर नारी को समान अधिकार थे. उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उन्हें अधिकार था. गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषी नारियों के उदाहरण इस बात के गवाह हैं. इसके साथ ही वे युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन भी करती थीं. वे आदर्श गृहिणी और आदर्श माताओं के रूप में अपना जीवन जीती थी.

मध्यकाल में भारतीय नारी- मध्यकाल में भारतीय नारी की स्थिति में गिरावट आई. इस काल में उसे स्वतंत्रता का अधिकार नहीं दिया गया. उसे घर की चहारदीवारी में ही रहने के लिए विवश किया गया. इस काल में उनका शोषण हुआ और बाल विवाह तथा बेमेल बहुविवाह का भी बोलबाला रहा.

वर्तमान युग की नारी- आजादी प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी की शिक्षा एवं रहन सहन पर भी ध्यान दिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि नारी भी पुरुषों के समान डोक्टर, वकील, जज, मंत्री, अधिकारी, समाज सेविका एवं उद्यमी आदि क्षेत्रों में कुशलता से काम कर रही हैं.

वर्तमान में तो भारतीय नारियों ने विज्ञान, राजनीति और अन्य क्षेत्रों में भी अपना वर्चस्व स्थापित किया हैं. विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, राजनीति में इंदिरा गांधी, मेनका गाँधी, सोनिया गांधी, पुलिस सेवा के क्षेत्र में किरण बेदी, ये सभी भारतीय नारी की क्षमताओं को दर्शाती हैं.

उपसंहार- आज आर्थिक बाजारवाद के इस युग में नारी सौदर्य प्रदर्शन और विज्ञापन के क्षेत्र में बहुत आगे हैं. फिर भी उसे अपनी नारी अस्तित्व की गरिमा को समझना चाहिए. वह सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति न बनकर परिवार और समाज के लिए एक आदर्श नारी बने. इस पर उसे विचार करना चाहिए. उसके प्रति यही अपेक्षा हैं कि उसे अपनी क्षमताओं के आधार पर यह विचार करना चाहिए कि वह अबला नहीं सबला हैं.

Answered by sakshirajak424
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Explanation:

नारी, अबला नहीं बल्कि सबला है। हम नारियों को सशक्तिकरण इस मायने में नहीं चाहिए कि हम सशक्त नहीं हैं बल्कि इस मायने में चाहिए हम अपने अंदर निहित शक्ति को बाहर लाएं और उसका सकारात्मक उपयोग करके दुनिया को दिखाएं कि हम सचमुच सशक्त हैं।

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल के बोर्ड की ओर से नियुक्त अरुणा ओसवाल ने ये बातें कहीं। वह बुधवार शाम यहां क्लब मोंटाना विस्टा (उत्तरायण-माटीगाड़ा) में आयोजित 'वूमेन सिम्पोजियम' (महिला सम्मेलन) को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थीं। लायंस क्लब्स इंटरनेशनल (डिस्ट्रिक्ट-322एफ) की ओर से लायंस क्लब ऑफ सिलीगुड़ी ग्रेटर फेमिना की मेजबानी में इसका आयोजन किया गया था। इसमें 'नारी सशक्तिकरण, समाज का विकास' विषय पर वह अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने नारियों को सलाह दी कि कभी अपनी पहचान, अपना चरित्र व अपनी निष्ठा को खोने न दें। ये खो गए तो समझो सब खो गए। उन्होंने नारी समाज को यह मंत्र भी दिया कि 'अपने आपको बागीचे की तरह न संवारो कि वहां हर कोई टहल सके बल्कि खुले विस्तृत आकाश की तरह संवारो जहां हर किसी की पहुंच संभव न हो'।

इस अवसर पर पूर्वोत्तर भारत के सेना भर्ती बोर्ड के निदेशक कर्नल सुखपाल सिंह ने नारी की संज्ञा 'बोन्साई' वृक्षों से दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह 'बोन्साई' के जड़ों व शाखों को बार-बार, काट-काट कर बढ़ने और फैलने से रोका जाता है उसी तरह समाज नारी को भी बढ़ने और फैलने से रोकता है। हमें इस जड़ मानसिकता से ऊपर उठ कर समानता के साथ नारी समाज को भी आगे लाना होगा।

दिल्ली पब्लिक स्कूल (डागापुर) की शिक्षिका इंद्रजीत कौर ने सुझाया कि हमें स्त्री और पुरुष के अपने-अपने सीमित और संकीर्ण दायरे से बाहर निकल कर मानवता के विस्तृत दायरे में देखना होगा व काम करना होगा तभी नारी व पुरुष समेत समस्त समाज, पूरे विश्व व पूरी मानवता का भला है।

ज्ञान ज्योति कॉलेज (डागापुर) की अंग्रेजी शिक्षिका शंपा बनर्जी ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पर बड़े संघर्षो से जूझ कर अपनी पहचान कायम करने वाली एक से एक बड़ी महिला शख्सियतों का परिचय व उदाहरण देते हुए नारी समाज से अपना विकास करने हेतु उन सबका नीति-आदर्शो का अनुकरण करने की अपील की।

इस अवसर पर लायंस क्लब्स इंटरनेशनल (डिस्ट्रिक्ट-322एफ) के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनेष गौतम, डीसी (वूमेन) अमिता चतुर्वेदी, मेजबान लायंस क्लब ऑफ सिलीगुड़ी ग्रेटर फेमिना की अध्यक्ष उमा मानसिंहका समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।

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