nibandh on danik jivan me samachar patra ka mahatva
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वर्तमान युग विज्ञान का युग है । विज्ञान की कृपा से आवागमन के ऐसे दुतगामी साधन उपलब्ध हो गए हैं कि समूचा देश सिकुड़कर एक बड़ा नगर वन गया है और दूरस्थ राष्ट्र हमारे पड़ोसी बन गए हैं ।
ऐसी स्थिति में अपने पडोसी राष्ट्रों की दैनिक गतिविधियों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने की प्रबल इच्छा रहती है । ममाचार-पत्र हमारी इस इच्छा की पूर्ति में सहायक होते हैं । मुद्रण यंत्र के आविष्कार ने डनके प्रचार-प्रसार में विशेष योग दिया है । इसलिए वर्तमान युग में समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक प्रमुख अंग बन गया है ।
हमें इसकी ऐसी आदत पड़ गई है कि प्रात: उठते ही हम उसे पढ़ने के लिए बेचैन हो उठते हैं । समाचार प्राप्त करने के मुख्यत: दो साधन हैं । संसार के प्राय: सभी देशों में वहाँ की सरकार द्वारा अनुशासित कुछ ऐसी न्यूज एजेंसियाँ होती हैं, जो संसार के सभी देशों के समाचार-पत्रों को प्रतिक्षण समाचार भेजती रहती हैं । इस काम के लिए टेलीप्रिंटर का उपयोग किया जाता है । इस यंत्र द्वारा अविलंब समाचार मिलते है ।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक समाचार-पत्र के देश-विदेश में अपने वैतनिक संवाददाता होते हैं । वे फैक्स द्वारा समाचार भेजते हैं । सुबह होते ही समाचार-पत्र वितरित करनेवाला हॉकर हमारे घर इच्छित समाचार-पत्र पहुँचा देता है ।
समाचार-पत्र का प्रकाशन एक स्वतंत्र व्यवसाय है । महानगरों से निकलने वाले स्थानीय समाचार-पत्र को एक व्यक्ति अपनी पूँजी लगाकर निकाल लेता है, किंतु बड़े-बड़े समाचार-पत्रों को बड़ी-बड़ी कंपनियाँ प्रकाशित करती हैं । उनके अंतर्गत बहुत से विभाग और कर्मचारी काम करते हैं । समाचारों का संपादन करने के लिए एक प्रधान संपादक होता है ।
उसका विभाग संपादकीय विभाग कहलाता है । प्रधान संपादक की सहायता के लिए कई उप-संपादक होते हैं । संपादकीय विभाग के अतिरिक्त बिक्री विभाग, विज्ञापन विभाग, पत्र-व्यवहार विभाग, प्रिंटिंग और कंपोजिंग विभाग आदि भी होते हैं । ये सब विभाग परस्पर सहयोग से काम करते हैं ।
समाचार-पत्रों से अनेक लाभ हैं । इनसे हमें प्रतिदिन देश-विदेश के सभी क्षेत्रों के समाचार घर बैठे प्राप्त हो जाते हैं । इनसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है और हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं । संसार की ज्वलंत समस्याओं को हमारे सामने प्रस्तुत कर वे हमें उनके संबंध में विचार करने का अवसर देते हैं । व्यापारिक वस्तुओं के विज्ञापन के ये लोकप्रिय साधन हैं । यदि कोई व्यापारी अपने माल की खपत बढ़ाना चाहता है तो वह समाचार-पत्र का ही आश्रय लेता है ।
सरकार भी अपने आदेशों का प्रचार-प्रसार करने के लिए समाचार-पत्र को ही साधन वनाती है । इस प्रकार शासक और जनता के बीच निरंतर संपर्क बना रहता है । यदि देश अथवा विदेश में कोई ज्वलंत राजनीतिक समस्या उठ खड़ी होती है तो उसके संबंध में राजनेताओं तथा जनता के विचार हमें समाचार-पत्र द्वारा प्राप्त हो जाते है ।
समाचार-पत्र शासन-नीति की आलोचना कर जनता को उसके प्रति सतर्क रखते हैं । वे जनसाधारण के कष्टों और कठिनाइयों को सरकार के सामने रखकर उनके निवारण के लिए अपील करते हैं । इस प्रकार वे शासक और शासित के मध्यस्थ बनकर दोनों के बीच ठोस संबंध स्थापित करते है ।
समाचार-पत्रों से कुछ हानियाँ भी होती है । विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने दल के हितार्थ समाचार-पत्रों के माध्यम से असत्य का प्रचार करते रहते हैं । इससे जनता गुमराह हो जाती है और राष्ट्रीय एकता को धक्का पहुँचता है । कभी-कभी समाचार-पत्र झूठे समाचार प्रकाशित कर शासन के विरुद्ध हलचल पैदा कर देते हैं । कभी-कभी व्यापारी उनके द्वारा अपने माल की अवांछनीय प्रशंसा कर जनता को ठग लेते हैं ।
कामोत्तेजक विज्ञापन और अश्लील चित्र छापकर अखबार जनता का चरित्र बिगाड़ देते हैं । वे भिन्न-भिन्न संप्रदायों, राजनीतिक दलों, जातियों तथा सामाजिक संस्थाओं के बीच मनोमालिन्य बढ़ाने से भी नहीं चूकते । सांप्रदायिक दंगों के भड़काने में उनका बड़ा हाथ रहता है । इन गुणों और दुर्गुणों के होते हुए भी जनतंत्रात्मक युग में समाचार-पत्र का अपना महत्त्व है ।
समाचार-पत्र स्वतंत्र देश के सजग प्रहरी होते हैं । देश की प्रत्येक ज्वलंत समस्या के प्रति स्वस्थ जनमत तैयार करना और संपूर्ण विश्व को एकता की श्रुंखला में जोड़ना उनका मुख्य ध्येय है । इस ध्येय की पूर्ति में जो समाचार-पत्र सहायक होते हैं, उन्हीं से देश का मस्तक ऊँचा होता है ।
ऐसी स्थिति में अपने पडोसी राष्ट्रों की दैनिक गतिविधियों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने की प्रबल इच्छा रहती है । ममाचार-पत्र हमारी इस इच्छा की पूर्ति में सहायक होते हैं । मुद्रण यंत्र के आविष्कार ने डनके प्रचार-प्रसार में विशेष योग दिया है । इसलिए वर्तमान युग में समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक प्रमुख अंग बन गया है ।
हमें इसकी ऐसी आदत पड़ गई है कि प्रात: उठते ही हम उसे पढ़ने के लिए बेचैन हो उठते हैं । समाचार प्राप्त करने के मुख्यत: दो साधन हैं । संसार के प्राय: सभी देशों में वहाँ की सरकार द्वारा अनुशासित कुछ ऐसी न्यूज एजेंसियाँ होती हैं, जो संसार के सभी देशों के समाचार-पत्रों को प्रतिक्षण समाचार भेजती रहती हैं । इस काम के लिए टेलीप्रिंटर का उपयोग किया जाता है । इस यंत्र द्वारा अविलंब समाचार मिलते है ।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक समाचार-पत्र के देश-विदेश में अपने वैतनिक संवाददाता होते हैं । वे फैक्स द्वारा समाचार भेजते हैं । सुबह होते ही समाचार-पत्र वितरित करनेवाला हॉकर हमारे घर इच्छित समाचार-पत्र पहुँचा देता है ।
समाचार-पत्र का प्रकाशन एक स्वतंत्र व्यवसाय है । महानगरों से निकलने वाले स्थानीय समाचार-पत्र को एक व्यक्ति अपनी पूँजी लगाकर निकाल लेता है, किंतु बड़े-बड़े समाचार-पत्रों को बड़ी-बड़ी कंपनियाँ प्रकाशित करती हैं । उनके अंतर्गत बहुत से विभाग और कर्मचारी काम करते हैं । समाचारों का संपादन करने के लिए एक प्रधान संपादक होता है ।
उसका विभाग संपादकीय विभाग कहलाता है । प्रधान संपादक की सहायता के लिए कई उप-संपादक होते हैं । संपादकीय विभाग के अतिरिक्त बिक्री विभाग, विज्ञापन विभाग, पत्र-व्यवहार विभाग, प्रिंटिंग और कंपोजिंग विभाग आदि भी होते हैं । ये सब विभाग परस्पर सहयोग से काम करते हैं ।
समाचार-पत्रों से अनेक लाभ हैं । इनसे हमें प्रतिदिन देश-विदेश के सभी क्षेत्रों के समाचार घर बैठे प्राप्त हो जाते हैं । इनसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है और हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं । संसार की ज्वलंत समस्याओं को हमारे सामने प्रस्तुत कर वे हमें उनके संबंध में विचार करने का अवसर देते हैं । व्यापारिक वस्तुओं के विज्ञापन के ये लोकप्रिय साधन हैं । यदि कोई व्यापारी अपने माल की खपत बढ़ाना चाहता है तो वह समाचार-पत्र का ही आश्रय लेता है ।
सरकार भी अपने आदेशों का प्रचार-प्रसार करने के लिए समाचार-पत्र को ही साधन वनाती है । इस प्रकार शासक और जनता के बीच निरंतर संपर्क बना रहता है । यदि देश अथवा विदेश में कोई ज्वलंत राजनीतिक समस्या उठ खड़ी होती है तो उसके संबंध में राजनेताओं तथा जनता के विचार हमें समाचार-पत्र द्वारा प्राप्त हो जाते है ।
समाचार-पत्र शासन-नीति की आलोचना कर जनता को उसके प्रति सतर्क रखते हैं । वे जनसाधारण के कष्टों और कठिनाइयों को सरकार के सामने रखकर उनके निवारण के लिए अपील करते हैं । इस प्रकार वे शासक और शासित के मध्यस्थ बनकर दोनों के बीच ठोस संबंध स्थापित करते है ।
समाचार-पत्रों से कुछ हानियाँ भी होती है । विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने दल के हितार्थ समाचार-पत्रों के माध्यम से असत्य का प्रचार करते रहते हैं । इससे जनता गुमराह हो जाती है और राष्ट्रीय एकता को धक्का पहुँचता है । कभी-कभी समाचार-पत्र झूठे समाचार प्रकाशित कर शासन के विरुद्ध हलचल पैदा कर देते हैं । कभी-कभी व्यापारी उनके द्वारा अपने माल की अवांछनीय प्रशंसा कर जनता को ठग लेते हैं ।
कामोत्तेजक विज्ञापन और अश्लील चित्र छापकर अखबार जनता का चरित्र बिगाड़ देते हैं । वे भिन्न-भिन्न संप्रदायों, राजनीतिक दलों, जातियों तथा सामाजिक संस्थाओं के बीच मनोमालिन्य बढ़ाने से भी नहीं चूकते । सांप्रदायिक दंगों के भड़काने में उनका बड़ा हाथ रहता है । इन गुणों और दुर्गुणों के होते हुए भी जनतंत्रात्मक युग में समाचार-पत्र का अपना महत्त्व है ।
समाचार-पत्र स्वतंत्र देश के सजग प्रहरी होते हैं । देश की प्रत्येक ज्वलंत समस्या के प्रति स्वस्थ जनमत तैयार करना और संपूर्ण विश्व को एकता की श्रुंखला में जोड़ना उनका मुख्य ध्येय है । इस ध्येय की पूर्ति में जो समाचार-पत्र सहायक होते हैं, उन्हीं से देश का मस्तक ऊँचा होता है ।
xHunter:
hope this help
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अगर हम समाचार पत्र के बारे में ऐसा कहें कि यह हमारे सुबह की पहली जरूरत है, तो यह गलत नहीं होगा. हममें से कुछ लोग तो ऐसे है, जिन्हें बिना समाचार पत्र पढे सुबह की चाय पीना भी पसंद नहीं . याद कीजिये दीपावली और होली का दूसरा दिन जब समाचार पत्र की अनुपस्थिति में हमारी सुबह सूनि-सूनि सी होती है. साल में यही दो-तीन दिन होते है, जब हमें सुबह समाचार पत्र प्राप्त नहीं होता, अन्यथा अन्य सभी दिन हर सुबह बहुत ही अनुशासित ढंग से हमें हमारा समाचार पत्र प्राप्त होता है. चाहे वह बारिश भरी रात हो या ठंड से भरी सुबह हमें हमारा समाचार पत्र रोज की ताजा खबरों के साथ अपने घर की दहलीज पर मिल ही जाता है.
अगर हम समाचार पत्रों का इतिहास जानने की कोशिश करे तो यह बहुत ही प्राचीन है, कहा जाता है कि इसकी शुरवात कोलकाता मे हुई थी. पहले समाचार पत्र एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित था, परंतु नित नये आविष्कारों के चलते सूचना का आदान प्रदान तुरंत संभव हो सका. साथ ही साथ छपाई कला में भी दक्षता आई. आजकल कई ऐसी मशीने उपलब्ध है, जिसकी सहायता से चंद घंटो मे हजारो की संख्या में प्रतियाँ तैयार हो जाती है. इन सभी आविष्कारों के चलते समाचार पत्र एक क्षेत्र तक सीमित न रहकर देश विदेशो तक पहुँच गया है.
आज हम घर बैठे दुनिया के हर देश हर कोने की जानकारी समाचार पत्र मे पढ़ सकते है. आज कल पाठक की सुविधा का ध्यान रखते हुये हर भाषा में समाचार पत्र उपलब्ध है, जिसमें खेल कूद, बिज़नेस, राजनीति, शासन प्रशासन आदि कई सारी जानकारी इसमें पाठक को उपलब्ध कराई जाती है. आजकल कई समाचार पत्रों का प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है, जिससे देश विदेश कि जानकारी मिलती है. समाचार पत्रों में कुछ पेज किसी क्षेत्र विशेष के भी होते है, जिसमें वहाँ की समस्याँ और जानकारी दोनों प्रकाशित की जाती है ।
अगर हम समाचार पत्रों का इतिहास जानने की कोशिश करे तो यह बहुत ही प्राचीन है, कहा जाता है कि इसकी शुरवात कोलकाता मे हुई थी. पहले समाचार पत्र एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित था, परंतु नित नये आविष्कारों के चलते सूचना का आदान प्रदान तुरंत संभव हो सका. साथ ही साथ छपाई कला में भी दक्षता आई. आजकल कई ऐसी मशीने उपलब्ध है, जिसकी सहायता से चंद घंटो मे हजारो की संख्या में प्रतियाँ तैयार हो जाती है. इन सभी आविष्कारों के चलते समाचार पत्र एक क्षेत्र तक सीमित न रहकर देश विदेशो तक पहुँच गया है.
आज हम घर बैठे दुनिया के हर देश हर कोने की जानकारी समाचार पत्र मे पढ़ सकते है. आज कल पाठक की सुविधा का ध्यान रखते हुये हर भाषा में समाचार पत्र उपलब्ध है, जिसमें खेल कूद, बिज़नेस, राजनीति, शासन प्रशासन आदि कई सारी जानकारी इसमें पाठक को उपलब्ध कराई जाती है. आजकल कई समाचार पत्रों का प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है, जिससे देश विदेश कि जानकारी मिलती है. समाचार पत्रों में कुछ पेज किसी क्षेत्र विशेष के भी होते है, जिसमें वहाँ की समस्याँ और जानकारी दोनों प्रकाशित की जाती है ।
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