nibandh on hamare tyohar hamari sanskriti
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आज का युग विज्ञान का युग है । बीसवीं शताब्दी में मनुष्य का चाँद पर पदार्पण मानव-जाति के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है । जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में नित नए अनुसंधान एवं प्रयोगों के माध्यम से मनुष्य बहुआयामी विकास की ओर अग्रसर हुआ है ।
इसके बावजूद मनुष्य का सर्वांगीण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि बौद्धिक विकास के साथ-साथ उसमें भावनात्मक विकास न हो । हमारे देश के त्योहार, हमारे पर्व, मनुष्य के भावनात्मक विकास में सदैव सहभागी रहे हैं ।
ये त्योहार करुणा, दया, सरलता, आतिथ्य सत्कार, पास्परिक प्रेम एवं सद्भावना तथा परोपकार जैसे नैतिक गुणों का मनुष्य में विकास करते हैं । इन्हीं नैतिक मूल्यों की अवधारणा से मनुष्य को चारित्रिक अथवा भावनात्मक बल प्रदान होता है ।
इसके बावजूद मनुष्य का सर्वांगीण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि बौद्धिक विकास के साथ-साथ उसमें भावनात्मक विकास न हो । हमारे देश के त्योहार, हमारे पर्व, मनुष्य के भावनात्मक विकास में सदैव सहभागी रहे हैं ।
ये त्योहार करुणा, दया, सरलता, आतिथ्य सत्कार, पास्परिक प्रेम एवं सद्भावना तथा परोपकार जैसे नैतिक गुणों का मनुष्य में विकास करते हैं । इन्हीं नैतिक मूल्यों की अवधारणा से मनुष्य को चारित्रिक अथवा भावनात्मक बल प्रदान होता है ।
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