Hindi, asked by crazzygirl8884, 10 months ago

Nibandh on khadya padarth me milawat

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Answered by monugujjar93
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पूरी दुनिया आज मिलावट की समस्या से जूझ रही हैं. हम सुबह से शाम तक जितने भी उत्पाद उपयोग में लेते हैं उन सभी में व्यापक स्तर पर मिलावट की जाती हैं. पीने का पानी हो या दूध, नमक हो या जहर सभी में बड़े स्तर पर मिलावट का गोरख़धंधा किया जा रहा हैं.

घी, दूध, दही जैसे स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ ही आज जानलेवा साबित हो रहे हैं. जो वस्तुएं हमारे शरीर के लिए ऊर्जा के स्रोत थे वे ही आज घातक बीमारियों को जन्म दे रहे हैं. पैसे देकर बीमारी खरीदने के बाद ईलाज के लिए हम जिस दवाई को खरीदने जाते हैं उसमें भी मिलावट के धंधे किये जा रहे हैं.

मिलावट के इन खाद्य सामग्रियों को खाने से लाखों लोग बिना कारण मौत के शिकार हो रहे हैं. मनुष्य में नई नई बीमारियाँ जन्म ले रही हैं. हालिया शोधों ने यह साबित किया हैं कि मिलावटी सामान कैंसर जैसे रोगों का भी कारण बनता हैं.

जिस वस्तु का हम नियत मूल्य देकर खरीदते है तथा उपयोग करते हैं यदि उसमें हानि कारक तत्वों की मिलावट हो तो वह हमारी मृत्यु का कारण भी बन जाता हैं. व्यापारी पैसे के बदलें अपने थोड़े लाभ के लिए लोगों को मौत बेचने से भी बाज नहीं आते हैं.

खाद्य पदार्थों में मिलावट करने लोग किसी के जीवन के बारे में फिक्रमंद नहीं होते हैं. सरकार ने इस कुकृत्य को रोकने के लिए कई प्रकार के कानून भी बनाए हैं जिससे मिलावट के धंधे को रोका जा सके. फिर भी नजारा आज हमारी आँखों के सामने हैं. कानून होने के बावजूद भी यह कार्य बड़े स्तर पर जारी हैं.

आज नकली घी, तेल और दूध को निर्मित करने के लिए बड़े स्तर पर औद्योगिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं. प्रशासन और बड़े कारोबारियों की मिलीभगत से ये उत्पाद सस्ते दामो में बाजार में उपलब्ध होते ही, जनता सस्ता मिलने के कारण इसकी खरीद कर लेती हैं. आज ह्रदयघात की बिमारी के चरम सीमा पर होने के कारण ये नकली खाद्य पदार्थ ही हैं. जिन्हें हम थोड़े से फायदे के लिए खरीद लाते हैं.

आज के दौर में उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागृत होने की आवश्यकता हैं. पैसे देकर वस्तु खरीदने की बजाय हम बीमारियों को न खरीदे. जब भी कोई वस्तु हम खरीदे उसकी गुणवत्ता की परख अवश्य करे साथ ही उसका बिल अवश्य ले. यदि कभी उसकी यथेचित गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ पाया जाता हैं तो उपभोक्ता मंच में उसकी शिकायत करके मिलावट के रोग की प्रवृत्ति को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

हर कोई बाजार से आते समय बच्चों के लिए मिठाइयाँ आदि लेकर आते हैं. देखने में बेहद आकर्षक लगने वाली इन मिठाइयों में कई तरह के रासायनिक रंग मिले होते हैं. जो शुगर तथा कैंसर जैसी बीमारियों के कारण बंटे हैं.

दूध में लोग यूरिया की मिलावट करके धन कमा रहे हैं. नकली मावा तथा रसगुल्ले धड़ल्ले से बीक रहे रहे हैं अतः अब समय आ चूका हैं हमें जागरूक रहकर मिलावट की समस्या के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी.

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