Hindi, asked by Abhik05, 1 year ago

Nibandh on kusangati.... NO SPAM NO COPIED ANSWER I NEED.....​

Answers

Answered by Anonymous
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❤HOLA MATE❤

✔️✔️ANSWER:

⭕संगति मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है। संगति का अर्थ होता है साथ।⭕

⭕ मनुष्य पर साथ का विशेष प्रभाव देखा जाता है।⭕

⭕यदि गौर किया जाए, तो संगति के प्रभाव को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है।⭕

⭕संगति दो प्रकार की होती है- सत्संगति और कुसंगति। ⭕

⭕मनुष्य को यह तय करना होता है कि वह अपने जीवन में लोगों की किस प्रकार की संगति करता है।⭕

⭕संगति मनुष्य के जीवन को चमत्कारिक ढंग से प्रभावित करती है।⭕

⭕ यदि मनुष्य विद्वान की संगति करता है, तो वह विद्वान न बने परन्तु मूर्ख भी नहीं रहता। ⭕

⭕विद्वानों के साथ उठने-बैठने के कारण उसे समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होता है। ⭕

⭕अच्छी संगति उसके व्यक्तित्तव को निखारती है।⭕

⭕ उसे मार्ग दिखाती है।⭕

⭕ यदि मित्र अच्छा है, तो उसका जीवन सफल हो जाता है। ⭕

⭕इसके विपरीत मनुष्य यदि कुसंगति वाले लोगों के साथ उठता बैठता है, तो वह स्वयं के लिए मुसीबतों का मार्ग खोल देता है। ⭕

⭕एक चोर के संगत में उठने-बैठने से मन में भी उसी प्रकार के कुविचार आने लगते हैं। ⭕

⭕यदि वह स्वयं को बचा भी लेता है, तो लोग उसके विषय में गलत धारणा बना लेते हैं। ⭕

❤HOPE IT HELPS❤

Answered by CutyRuhi
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Hey! mate, GOOD EVENING

☺ कुसंगती☺

दोस्त सबके पास होते हैं, कुछ अच्छे कुछ बुरे। अच्छे दोस्तों की संगती को सुसंगती कहते हैं और बुरे दोस्तों की संगती को कुसंगती। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है। जब तक वो समाज में संबंध प्राप्त नहीं कर पाते हैं तब तक वो अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। समाज में कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अच्छे लोग होते हैं तो कुछ बुरे लोग होते हैं।जब व्यक्ति की संगत अच्छी होती है तो उससे उसकी जड़ता को दूर किया जाता है। सत्संगति से मनुष्य की वाणी, आचरण में सच्चाई आती है। मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है। इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है। लेकिन कुसंगति सत्संगति की बिलकूल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराईयाँ पैदा करती है। कुसंगति मनुष्य को बुरे रास्ते पर ले जाती है। जो व्यक्ति सत्संगति के विरुद्ध होता है वह कुसंगति के अधीन होता है।यह कभी भी नहीं हो सकता है कि मनुष्य कुसंगति के प्रभाव से बच सकता है। जो व्यक्ति दुष्ट और दुराचारी व्यक्तियों के साथ रहते हैं वे व्यक्ति भी दुष्ट और दुराचारी बन जाते हैं। इस संसार में व्यक्ति या तो भगवान की संगत पाता है या फिर बुरे व्यक्ति की संगत में पड़ जाता है क्योंकि मानव का समाज के अभाव में अस्तित्व नहीं है।

Hope it helps you❤❤❤

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