nibandh on nari shakti for 8 class
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आज की नारी का सफर चुनौतीभरा जरूर है, पर आज उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस आ गया है। अपने आत्मविश्वास के बल पर आज वह दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रही है। आज की नारी आर्थिक व मानसिक रूप से आत्मनिर्भर है।
परिवार व अपने करियर दोनों में तालमेल बैठाती नारी का कौशल वाकई काबिले तारीफ है। किसी को शिकायत का मौका नहीं देने वाली नारी आज अपनी काबिलीयत व साहस के बूते पर कामयाबी के मुकाम तक पहुँची है।
चुनौतियों का हँसकर स्वागत करने वाली महिलाएँ आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। कल तक भावनात्मक रूप से कमजोर महिलाएँ आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं तथा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं कर रही हैं। * मैं हूँ ना :-
शादी के पहले आत्मनिर्भर रहने वाली नारी के जीवन में शादी के बाद अचानक बदलाव-सा आ जाता है। अब उसके लिए अपना करियर व परिवार दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इस वक्त यदि करियर के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है और यदि परिवार की उपेक्षा की तो दांपत्य जीवन।
नारी को अपने करियर संबंधी किसी भी निर्णय को लेने से पहले बहुत सोचना-समझना पड़ता है। परिवार के प्रति उसके द्वारा थोड़ी-सी भी कोताही बरतने पर परिवार के सदस्यों की शिकायतें शुरू हो जाती हैं और उस पर कटाक्ष किए जाने लगते हैं। ऐसे में परिवार और कार्यालय में स्वयं को बेहतर सिद्ध करने की वह हरसंभव कोशिश करती है और आदर्श बनकर सबका दिल जीत लेती है।
परिवार व अपने करियर दोनों में तालमेल बैठाती नारी का कौशल वाकई काबिले तारीफ है। किसी को शिकायत का मौका नहीं देने वाली नारी आज अपनी काबिलीयत व साहस के बूते पर कामयाबी के मुकाम तक पहुँची है।
चुनौतियों का हँसकर स्वागत करने वाली महिलाएँ आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। कल तक भावनात्मक रूप से कमजोर महिलाएँ आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं तथा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं कर रही हैं। * मैं हूँ ना :-
शादी के पहले आत्मनिर्भर रहने वाली नारी के जीवन में शादी के बाद अचानक बदलाव-सा आ जाता है। अब उसके लिए अपना करियर व परिवार दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इस वक्त यदि करियर के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है और यदि परिवार की उपेक्षा की तो दांपत्य जीवन।
नारी को अपने करियर संबंधी किसी भी निर्णय को लेने से पहले बहुत सोचना-समझना पड़ता है। परिवार के प्रति उसके द्वारा थोड़ी-सी भी कोताही बरतने पर परिवार के सदस्यों की शिकायतें शुरू हो जाती हैं और उस पर कटाक्ष किए जाने लगते हैं। ऐसे में परिवार और कार्यालय में स्वयं को बेहतर सिद्ध करने की वह हरसंभव कोशिश करती है और आदर्श बनकर सबका दिल जीत लेती है।
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