Nibandh on pakshi aur paryavaran 400 words
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भूमिका : इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना बहुत जरूरी है कि पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का संपूर्ण योग है। जो हमारे दैनिक जीवन से सीधा संबंध रखता है तथा उसे प्रभावित करता है वैज्ञानिक प्रगति के परिणामस्वरूप मिलों, कारखानों तथा वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि आजकल पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई है।
मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। अगर हमारी जलवायु में थोडा-सा भी परिवर्तन होता है तो इसका सीधा असर हमारे शरीर पर दिखने लगता है। अगर ठंड ज्यादा पडती है तो हमें सर्दी हो जाती है लेकिन अगर गर्मी ज्यादा पडती है तो हम सहन नहीं कर पाते हैं।पर्यावरण का अर्थ : पर्यावरण का तात्पर्य हमारे चारों ओर के वातावरण और उसमें निहित तत्वों और उसमें रहने वाले प्राणियों से है। हम अपने चारों ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी को अपने पर्यावरण में शामिल करते हैं। जिस तरह से हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं उसी तरह से हमारा पर्यावरण हमारे द्वारा किए गए कृत्यों से प्रभावित होता है।
लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ों से जंगल समाप्त हो रहे हैं और जंगलों के समाप्त होने का असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्त हो गई है और बहुत सी जातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। आज के समय में शेर अथवा चीतों के द्वारा गाँव में घुसने और वहाँ पर रहने वाले मनुष्यों को हानि पहुँचाने की बात बहुत आम हो गई है।
लेकिन ऐसा क्यूँ हो रहा है? यह इसलिए हो रहा है क्योंकि हमने इन प्राणियों से इनका घर छीन लिया है और अब ये प्राणी गांवों और शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर हो गए हैं और अपने जीवन यापन के लिए मनुष्यों को हानि पहुँचाने लगे हैं। पर्यावरण से तात्पर्य केवल हमारे आस-पास के वातावरण से नहीं है बल्कि हमारा सामाजिक और व्यवहारिक वातावरण भी इसमें शामिल है। मानव के आस-पास उपस्थित सोश्ल, कल्चरल, एकोनोमिकल, बायोलॉजिकल और फिजिकल आदि सभी तत्व जो मानव को प्रभावित करते हैं वे सभी वातावरण में शामिल होते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण : पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से कारण है जिससे हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित होता है। मानव द्वारा निर्मित फैक्ट्री से निकलने वाले अवशेष हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। लेकिन यह भी संभव नहीं है कि इस विकास की दौड़ में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने विकास को नजर अंदाज कर दें।
हम कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। कारखानों की चिमनियाँ नीची लगी होती हैं जिसकी वजह से उनसे निकलने वाला धुआं हमारे चारों ओर वातावरण में फैल जाता है। आज के समय में घर में इतने सदस्य नहीं होते हैं जितने अधिक वाहन होते हैं। घर का छोटा बच्चा भी साइकिल की जगह पर गाड़ी चलाना पसंद करता है।
मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों से बाहर निकलने वाले धुएं तथा विषैली गैसों ने पर्यावरण की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। बसों, करों, ट्रकों, टंपुओं से इतना अधिक धुआं और विषैली गैसी निकलती है जिससे प्रदूषण की समस्या और अधिक गंभीर होती जा रही है।
बहती नदियों के पानी में सीवर की गंदगी इस तरह से मिल जाती है जिससे मनुष्यों और पशुओं के पीने का पानी गंदा हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप दोनों निर्बलता, बीमारी तथा गंभीर रोगों के शिकार बन जाते हैं। बड़े-बड़े नगरों में झोंपड़ियों के निवासियों ने इस समस्या को बहुत अधिक गंभीर कर दिया है।