nibandh on rashtriya ekta par videsh niti ka prabhav in hindi
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किसी देश की विदेश नीति, जिसे विदेशी संबंधों की नीति भी कहा जाता है, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के वातावरण में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा चुनी गई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह होती है। किसी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा सैनिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समुच्चय है
भारत की विदेश नीति की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए जवाहरलाल ने सितंबर 1946 में यह कहते हुए उदघोष किया था, ”वैदेशिक संबंधों के क्षेत्र में भारत एक स्वतंत्र नीति का अनुसरण करेगा और गुटों की खींचतान से दूर रहते हुए संसार के समस्त पराधीन देशों को आत्म-निर्णय का अधिकार प्रदान कराने तथा जातीय भेदभाव की नीति का दृढ़तापूर्वक उन्मूलन कराने का प्रयत्न करेगा ।”
नेहरू का यह कथन आज भी भारत की विदेश नीति का आधारस्तंभ है । भारत की विदेश नीति की मूल बातों का समावेश हमारे संविधान के अनुच्छेद 51 में किया गया है जिसके अनुसार राज्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढावा देगा, राज्य राष्ट्रों के मध्य न्याय और सम्मानपूर्वक संबंधों को बनाये रखने का प्रयास करेगा राज्य अंतर्राष्ट्रीय कानूनों तथा संधियों का सम्मान करेगा तथा राज्य अंतर्राष्ट्रीय झगडों को पंच फैसलों द्वारा निपटाने की रीति को बढावा देगा ।