Hindi, asked by arulmozhi402, 1 year ago

Nibandh on yadi main doctor hoti

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Answered by Vasu100
189
यदि मै डाक्टर होता

संसार में अनेक प्रकार के आजीविका के साधन है | उनमे से कई साधन तो मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते है जिनका सीधा सम्बन्ध मनुष्य की भावनाओं , उसके प्राणों तथा सारे जीवन के साथ हुआ करता है | डाक्टर का धन्धा कुछ इसी प्रकार का पवित्र , मानवीय संवेदनाओ से युक्त, प्राण – दान और जीवन – रक्षा की दृष्टि से ईश्वर के बाद दूसरा परन्तु कभी- कभी तो ईश्वर के समान ही मन जाता है | क्योकि ईश्वर तो मनुष्य को केवल जन्म देकर संसार में भेजने का काम करता अहि जबकि डाक्टर के कन्धो पर उसके सारे जीवन की रक्षा का भार पढ़ा होता है | इन बातो को ध्यान में रखकर मै प्राय : सोचा करता हूँ कि – यदि मै डाक्टर होता, तो ?

यह  तो सत्य ही है कि डाक्टर का व्यवसाय बड़ा ही पवित्र हुआ करता है | पहले तो लोग यहा तक कहते थे डाक्टर केवल सेवा करने के लिए होता है . जिन्होंने मानव – सेवा में अपना सारा जीवन लगा दिया तथा मरीजो को इसलिए नही मरने दिया क्योकि उनके पास फीस देने या दवाई खरीदने के लिए पैसे नही थे | धन्य है ऐसे डाक्टर ! होता तो मै भी ऐसा करने का प्रयत्न करता |सामान्यतया मैंने ऐसा पढ़ा तथा  सुना है की दूर – दुराज के देहातो में डाक्टरों – सेवा का बड़ा अभाव है | वहां तरह – तरह की बीमारियाँ फैलती रहती है जिनके प्रणामस्वरूप अनेक लोग बिना दवा के मर जाते है | वहा देहातो में डाक्टरों के स्थान पर निम- हकीमो का बोलबाला है | या फिर झाड-फुक करने वाले ओझा लोग बीमारी का भी इलाज करते है | यदि मै डाक्टर होता तो आवश्यकता पड़ने पर ऐसे ही देहातो में जाकर वहा के निवासियों की तरह – तरह की बीमारियो से रक्षा करता | ओंझाओ तथा निम- हकीम की प्रैकिटस  के विरुद्ध कानूनी रोक लगवाने का प्रयास करता |


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Answered by rajputyuvraj050
77

संसार में अनेक प्रकार के आजीविका के साधन है | उनमे से कई साधन तो मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते है जिनका सीधा सम्बन्ध मनुष्य की भावनाओं , उसके प्राणों तथा सारे जीवन के साथ हुआ करता है | डाक्टर का धन्धा कुछ इसी प्रकार का पवित्र , मानवीय संवेदनाओ से युक्त, प्राण – दान और जीवन – रक्षा की दृष्टि से ईश्वर के बाद दूसरा परन्तु कभी- कभी तो ईश्वर के समान ही मन जाता है | क्योकि ईश्वर तो मनुष्य को केवल जन्म देकर संसार में भेजने का काम करता अहि जबकि डाक्टर के कन्धो पर उसके सारे जीवन की रक्षा का भार पढ़ा होता है | इन बातो को ध्यान में रखकर मै प्राय : सोचा करता हूँ कि – यदि मै डाक्टर होता, तो ?


यह  तो सत्य ही है कि डाक्टर का व्यवसाय बड़ा ही पवित्र हुआ करता है | पहले तो लोग यहा तक कहते थे डाक्टर केवल सेवा करने के लिए होता है . जिन्होंने मानव – सेवा में अपना सारा जीवन लगा दिया तथा मरीजो को इसलिए नही मरने दिया क्योकि उनके पास फीस देने या दवाई खरीदने के लिए पैसे नही थे | धन्य है ऐसे डाक्टर ! होता तो मै भी ऐसा करने का प्रयत्न करता |सामान्यतया मैंने ऐसा पढ़ा तथा  सुना है की दूर – दुराज के देहातो में डाक्टरों – सेवा का बड़ा अभाव है | वहां तरह – तरह की बीमारियाँ फैलती रहती है जिनके प्रणामस्वरूप अनेक लोग बिना दवा के मर जाते है | वहा देहातो में डाक्टरों के स्थान पर निम- हकीमो का बोलबाला है | या फिर झाड-फुक करने वाले ओझा लोग बीमारी का भी इलाज करते है | यदि मै डाक्टर होता तो आवश्यकता पड़ने पर ऐसे ही देहातो में जाकर वहा के निवासियों की तरह – तरह की बीमारियो से रक्षा करता | ओंझाओ तथा निम- हकीम की प्रैकिटस  के विरुद्ध कानूनी रोक लगवाने का प्रयास करता |



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