Hindi, asked by chirag481, 1 year ago

niche Diye Gaye dohe ka matlab bataiye

जप माला छापै तिलक, सैर न एकौ काम|
मन काँचे नाचै बृथा , साचै राँचे रामु ||

Answers

Answered by prasadpkvnp6kdx1
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बिहारी कहते है- जप करने की माला हात मे लेकर जप करने से , सारे शरीर पर चंदन का छाप लगाने से अथवा माथे पर तिलक लगाने से एक भी काम नही निकलता । आशय यह है की यह सब बाहरी दिखावे है। इनसे प्रभू प्राप्ति नही हो सकती। केवल अधूरी भकति वाले अपरिपक्वव लोग ही इन व्यर्थ की कर्मकाडो मे लगे रहते है।

Answered by Anonymous
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इस दोहे का अर्थ है-

माला जपने से तथा शरीर पर चंदन लगा लेने से और मस्तक पर तिलक लगा लेने से, ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है, यह सभी ढोंग और दिखावे से भगवान नहीं मिलते है, मन्न की भक्ति से भगवान मिलते है। जो व्यक्ति ढोंग के हथ कंदे अपनाता है उसे कुछ भी हासिल नहीं होता है, ईश्वर को पाने का उसका प्रयास व्यर्थ जाता है।

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