Hindi, asked by wwwpayalshah0406com, 3 months ago

nimnalikhit sangya shabd se uchit karak chinh ka prayog karte hue diye gaye vishay par lagbhag 150 shabdo mein anuched likhiye sangya shabd padhaai manushya mahan safalta jit

Answers

Answered by TanmayKP
0

केत बिंदु –

ट्रैफिक जाम की वर्तमान स्थिति

जाम से निपटने के उपाय

‘आड-इवेन’ योजना

दिल्ली को देश का दिल कहा जाता है। जो यहाँ आता है वह यहीं का होकर रह जाता है। इस कारण इस महानगर में सरकारी और व्यक्तिगत वाहनों की संख्या तीव्र गति से बढ़ती जा रही है। इससे यहाँ हर चौराहे पर लगभग जाम की स्थिति देखने को मिलती है। सुबह-शाम के समय मुख्य मार्गों पर कई-कई किलोमीटर लंबी वाहनों की कतारें देखने को मिलती हैं।

ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए सरकार और पुलिस द्वारा समय-समय पर कदम उठाए जाते हैं। दिल्ली में मेट्रो रेल की शुरुआत इसी दिशा में उठाया एक कदम था। जाम से बचाने के लिए व्यस्त चौराहों पर फ़्लाई ओवर बनाए जाते हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने ‘ऑड और इवेन’ योजना शुरू की थी। इससे शुरू में लोगों को परेशानी तो हुई, पर जाम की समस्या में कमी आई थी। इससे निपटने के लिए सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग, कार पूलिंग तथा व्यक्तिगत वाहनों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।

पाश्चात्य सभ्यता की गिरफ्त में आते युवा ।

संकेत बिंदु –

पाश्चात्य संस्कृति का अर्थ

पाश्चात्य संस्कृति का आकर्षण

मानवीय मूल्यों पर बुरा असर

पाश्चात्य संस्कृति को पश्चिमी देशों की संस्कृति भी कहा जाता है। अर्थात् पश्चिमी देशों के रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार, आधुनिक जीवन शैली आदि का मिला-जुला नाम पाश्चात्य संस्कृति है। पश्चात्य संस्कृति से युवा वर्ग सम्मोहित हो गया है। वह पाश्चात्य संस्कृति को ललचाई नज़रों से देख रहा है। वह अपना सोच-विचार रहन-सहन, आचार-विचार आदि पश्चिमी देशों जैसा करता जा रहा है। युवाओं के लिए धोती-कुरता या कुरता-पजामा पिछड़ी पोशाकों का प्रतीक है। वे जींस और टी-शर्ट पहनने लगे हैं।

‘प्रणाम’ और ‘चरण-स्पर्श’ की जगह हाय हैलो लेता जा रहा है। भारतीय पकवानों की जगह बर्गर, पीज्जा, चाउमीन, नूडलस, समोसा, मोमोज़, पेटीज आदि रुचिकर लगते हैं। पाश्चात्य संस्कृति का सबसे बुरा असर हमारे जीवन मूल्यों पर पड़ रहा है। त्याग, प्रेम, सद्भाव, भाईचारा, उदारता परोपकार आदि की जगह स्वार्थपरता, आत्मकेंद्रितता और संवेदनहीनता लेती जा रही है। समाज के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।

पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र

संकेत बिंदु

Similar questions