nimnlikhit pantio ki vayakhya kigiye ख) मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।
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लाल होकर आँख भी दुखने लगी । मूँठ देने लोग कपड़े की लगे । ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी । ... इस कविता के अनुसार, एक दिन वो बड़े घमंड के साथ अपने घर की मुंडेर पर खड़े होते हैं, तभी उनकी आँख में एक तिनका गिर जाता है।
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कवि कहते हैं कि आँख में तिनका चले जाने से उन्हें बड़ी ही बेचैनी होने लगी। उनकी आँख लाल हो गयी और दुखने लगी। लोग कपड़े का उपयोग करके उनकी आँख से तिनका निकालने की कोशिश करने लगे। इस दौरान उनकी ऐंठ और घमंड बिल्कुल चूर हो कर दूर भाग गए।
Dono dekh lo Jo sahi lage likh lo
bhussain12:
thanks 2nd sahi hai
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