NIS Din Barsat Nain Hamare Sada Rehti Pawar Shri to Hampi Jab Se Shyam sidhare ras Bataye
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sringgar ras........rs
Ashbinjola1:
thank you so much
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निसिदिन बरसत नैन हमारे
सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।।
"इन पंक्तियों में शृंगार रस है "
शृंगार रस की परिभाषा :- शृंगार रस का स्थायी भाव प्रेम है। यह रस प्रेम भावनाओं द्वारा उत्पन्न होता है। यह रस दो प्रकार का होता है।
- संयोग रस
- वियोग रस
संयोग एवं वियोग रस प्रेम के दो भागों, मिलने एवं बिछड़ने को प्रदर्शित करते हैं।
अर्थ :- इन पंक्तियों में सूरदास जी कहते हैं कि - कृष्ण को संबोधन देते हुए गोपियां कहती हैं कि हे श्याम! जब से तुम ब्रज छोडकर मथुरा गए हो, तभी से हमारे नयन नित्य ही वर्षा के जल की भांति बरस रहे हैं अर्थात् तुम्हारे वियोग में हम दिन-रात रोती रहती हैं।
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