Hindi, asked by 26mail2me, 10 months ago

Nisuaarth seva hi dharm ka lakhsshey hai write essay

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Answered by abhinavmishra2006
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Explanation:

एक परमाणु से लेकर मनुष्य तक, जड़ तत्व के अचेतन प्राणहीन कण से लेकर इस पृथ्वी की सर्वोच्चता-मानवता तक, जो कुछ हम इस विश्व में देखते हैं, वे सब मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

वास्तव में यह समग्र विश्व इस मुक्ति के लिए संघर्ष का ही परिणम है. हर मिश्रण में प्रत्येक अणु दूसरे परमाणुओं से पृथक होकर अपने स्वतंत्र पथ पर जाने की चेष्टा कर रहा है, पर दूसरे उसे आबद्ध करके रखे हुए हैं. हमारी पृथ्वी सूर्य से दूर भागने की चेष्टा कर रही है तथा चंद्रमा पृथ्वी से. प्रत्येक वस्तु में अनंत विस्तार की प्रवृत्ति है.

इस विश्व में हम जो कुछ देखते हैं, उस सबका मूल आधार मुक्ति-लाभ के लिए संघर्ष ही है. इसी की प्रेरणा से साधु प्रार्थना करता है और डाकू लूटता है. जब कार्य-विधि अनुचित होती है, तो उसे हम अशुभ कहते हैं और जब उसकी अभिव्यक्ति उचित तथा उच्च होती है, तो उसे शुभ कहते हैं.

परंतु दोनों दशाओं में प्रेरणा एक ही होती है और वह है मुक्ति के लिए संघर्ष. निस्वार्थ सेवा ही धर्म है ओर बाह‍्य विधि-अनुष्ठान आदि केवल पागलपन हैं, यहां तक कि अपनी मुक्ति की अभिलाषा करना भी अनुचित है. मुक्ति केवल उसके लिए है, जो दूसरों के लिए सर्वस्व त्याग देता है, परंतु वे लोग हैं जो मेरी मुक्ति की अहर्निश रट लगाये रहते हैं.

- स्वामी विवेकानंद

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