Hindi, asked by ITzNoBitA, 9 months ago

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" नवजात शिशुओ मे बढता कुपोषण " विषय पर आलेख लिखिए /​

Answers

Answered by sidhi14
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Answer:

कहते है बच्चे ही भविष्य है परंतु आजकल इनके प्रति कुपोषण की समस्या बढ़ती जा रही है । आजकल कुछ बच्चे कुपोषण का शिकार होकर या तो ६-७ साल तक ही जी पाते है ।यह उनकी पूरी ज़िंदगी खराब कर देता है । कुपोषण का मुख्य कारण है गरीबी और गर्ब्वती महिला का कुपोषण । बढ़ती महँगाई के कारण किसानों , मजदूरों , बेरोजगारों के बच्चों को दूध आदि पोषण देने वाले खाद्य पदार्थ नहीं प्राप्त होते हैं । भारत में गरीबी बहुत अधिक है और ४० % बैचैन भारत के कुपोषित है ।फिर देश का भविषय क्या होगा? इसलिए हमें दान करना चाहिये और जर्जर को भी ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए।

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Answered by KarunaAnand
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"नवजात शिशु में बढ़ता कुपोषण "

आजकल कि महंगाई को देखकर हो रहा है | जब बच्चे जन्म के बाद अच्छे से मां के दौरान सिर्फ स्तनपान किया जाए | शिशु और बाल पोषण पर राष्ट्रीय दिशा निर्देशन के लक्ष पर ध्यान दिया जाए | 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही दिया जाए | 6 महीने के बाद बच्चे को ऊपरी आहार की आवश्यकता होती है | उन्हें धीरे-धीरे करके गिला भोजन देने की आवश्यकता होती है |

जैसे कि हलवा ,खीर ,गला हुआ दाल , खिचड़ी ,हल्के गिला चावल देनी चाहिए |

6 से 8 महीनों तक इन चीजों की आवश्यकता होती है | उसके 8 महीने के बाद से अर्ध ठोस भोजन देनी चाहिए |

जैसे कि अंडा ,कलेजी ,घी, तेल ,केला ,सेब इत्यादि | 5 से कम वर्ष वाले आयु के बच्चे में से 60% बच्चे की मृत्यु का कारण कुपोषण होता है |

इनमें से दो तिहाई से भी अधिक बच्चों की मृत्यु का कारण अन्य उपयुक्त आहार पद्धति है | और इनकी मृत्यु 1 वर्ष से कम आयु में हो जाती है | विश्व भर में सिर्फ 35% शिशुओं को जीवन के प्रथम 4 माह के दौरान मां का दूध प्राप्त होता है | और अधिकतर शिशुओं का पूरक आहार बहुत पहले या देर से आरंभ हो पाता है | या पूरक आहार पोषाहार एक दृष्टि से आप पर्याप्त एवं असुरक्षित होता है |

शिशु अवस्था एवं प्रारंभिक में गलत आहार पद्धति या सामाजिक आर्थिक विभाग विकास के लिए एक बड़ा खतरा है | अगर ये सबो का सेवन नही हो पाता है | तो शिशुए कुपोषण का शिकार हो जाते है |

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