Hindi, asked by bholasinghbharthana, 6 months ago

O नए भाव से
बहुविकल्पीय प्रश्न
सही उत्तर चुनकर (V) लगाइए।
(क) किससे वर्तमान का रूप सँवारने की बात कही गई है?
O नए विचार से O नए हाथ से
(ख) नए राग को क्या देने की बात कही गई है?
O लय
O स्वर
(ग) कवि की चाह क्या है?
O धरती पर मिटने की O धरती को स्वर्ग बनाने की
O ताल
O धरती को मिटाने की​

Answers

Answered by saniyasakshi7762
1

ans is

  1. a
  2. b

3. a

this is the answer

Answered by SAGNIKPANDIT
0

प्रश्न 1- वर्तमान समय में मनुष्य कौन से दुर्गुणों से त्रस्त है?

प्रश्न 2- मनुष्य दुखों से कैसे मुक्ति पायेगा?

प्रश्न 3 हमें सुख की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए?

प्रश्न 4 योग के द्वारा चरितार्थ होने वाली उक्तियों को लिखिए.

प्रश्न 5 आपने अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ा है, आप इसे क्या नाम देना चाहेंगे?

प्रश्न 6 – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –

क – सुखी –      ख – अनंत –

ग – जीवन      घ – स्वामी

प्रश्न 7 – निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –

क- आनंद – 1-    2 –

ख- इंसान – 1-    2 –

प्रश्न 8 – गद्यांश से चुनकर कोई दो संयुक्ताक्षर शब्द लिखिए –

1-      2-

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अपठित गद्यांश (Apathit gadyansh) unseen passage in Hindi 10:

अहंकार एक ऐसा दुर्गुण है जो क्रमशः मनुष्य का,परिवार का, समाज का देश का और अंततः मानव जाति का नाश कर डालता है. अहंकारवश मनुष्य पापकर्म करता रहता है और इसी का प्रतिफल उसे जन्म-जन्मान्तर भुगतना पड़ता है. अहंकार एक राक्षसी प्रवृत्ति है. इस प्रवृत्ति की छाया में अन्य दुर्गुण एकत्रित होकर मनुष्य को पूरा राक्षस बना देते हैं. हमारे धर्म ग्रन्थों में राक्षसों की चर्चा हर युग में मिलती है. आज भी राक्षसी प्रवृत्तियों वाले लोग बहुतायत मिल जाते हैं. ऐसे लोगों के बारे में तो तुलसीदास जी का रामचरितमानस में लिखित कथन आज भी उतना ही सत्य है कि राक्षस मौका मिलने पर अपने हितैषियों का भी अहित करने से नहीं चूकते.

दूसरों के अहित में ही इन्हें अपना लाभ दिखाई देता है. दूसरों के उजड़ने में इन्हें हर्ष एवं उनकी उन्नति में ये बेहद कष्ट का अनुभव होता है. ये दूसरों की बुराई करते हैं. दूसरों के दोषों को असंख्य नेत्रों से देखते हैं. दूसरों का काम बिगाड़ने के लिए दूध में मक्खी की भांति गिर जाते हैं. ये दूसरों का काम बिगाड़ने के लिए अपने प्राण तक गँवा देते हैं. अहंकार के कारण ये ईश्वर पर विश्वास न कर अपने ही निर्णयों को सर्वश्रेष्ठ मान दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं. राक्षसी प्रवृत्ति के लोग नैतिक को अनैतिक मानते हैं, इस कारण आस-पास का वातावरण नकारात्मक हो जाता है. ऐसी बुरी प्रवृत्ति की बढ़त के कारण पृथ्वी ने प्रभु के समक्ष निवेदन किया कि “हे भगवान मुझे पर्वत, वृक्षों आदि का भार इतना महसूस नहीं होता जितना नकारात्मक एवं दुष्प्रवृत्ति के लोगों के कारण होता है”. ऐसे लोगों को अपने दुष्कर्मों का प्रतिफल आने वाले जन्मों में भोगना ही पड़ता है. अतः मनुष्य को स्वाध्याय के माध्यम अपने भीतर झाँकना चाहिए एवं उस द्वार को पूर्णतः कसकर बंद कर देना चाहिए जहाँ से दुष्प्रवृत्तियों के आने की संभावना हो. इस प्रयास से ही मानवता जीवित रह पाएगी तथा धरती माँ भी सही अर्थों में वसुन्धरा बन पाएगी.

उपर्युक्त अपठित गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1- अहंकार के बारे में आपके क्या विचार हैं? कम से कम तीन वा

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