ऑक्सीजन अभिक्रिया पर टिप्पणी
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प्राचीन अवधारणा : वे अभिक्रियाएँ जिनमें तत्व या यौगिक से ऑक्सीजन का संयोग होता है ऑक्सीकरण कहलाता है। उदाहरण : 2mg + O2 → 2mgOS + O2 → SO2तथा वे अभिक्रियाएँ जिनमें तत्व या यौगिक से ऑक्सीजन का निष्कासन होता है अपचयन कहलाता है। ... किसी पदार्थ में से हाइड्रोजन या किसी धन विद्युती तत्व का निकलना ऑक्सीकरण कहलाता है।
प्रस्तावना: ऑक्सीजन को प्राणवायु कहा जाता है बिना भोजन पानी के जीव जंतु कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं परंतु ऑक्सीजन के ना मिलने पर तत्काल ही मृत्यु हो जाती है प्राणों को स्थिर या संचालित रखने के इसी गुण के कारण ऑक्सीजन प्राण वायु कही जाती है।
ऑक्सीजन एक रसायनिक तत्व है जो वास्तव में अपने प्रकार का एक अलग और महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है वातावरण में पांचवा हिस्सा अक्सीजन का ही है अक्सीजन तकरीबन सभी तत्वों के साथ मेल कर सकती है संजीवों में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन , कार्बन और अन्य के साथ मेल से रहती है मनुष्य के शरीर के भार का 2/3 हिस्सा पूर्णता ऑक्सीजन मिले तत्वों का ही है।
ऑक्सीजन क्या है? हमारा वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण है। जिसमें से ऑक्सीजन पृथ्वी पर जीवंत प्रत्येक प्राणी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण गैस है। इसी कारण ऑक्सीजन को ‘प्राणवायु’ के नाम से भी उल्लेखित किया जाता है। ऑक्सीजन का 21% भाग वायु में उपस्थित रहता है।
ऑक्सीजन के खोजकर्ता-
ऑक्सीजन की खोज अथवा प्राप्ति का श्रेय कार्ल शीले नामक वैज्ञानिक को जाता है। ऑक्सीजन के अध्ययनकर्ता के रूप में इनके पश्चात जोसेफ प्रीस्टले को मुख्य रूप से जाना जाता है। यह रंगहीन, गंधहीन, उदासीन गैस है। ऑक्सीजन गैस का रासायनिक सूत्र ‘O’ होता है। ऑक्सीजन की उत्पति प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम से होती है।
ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण स्थान-
एक स्वस्थ मनुष्य के लिए ऑक्सीजन की मात्रा का 94 से 100 के बीच में होना आवश्यक है। इसके विपरित मात्रा होने पर मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास निश्चित होता है। अतः यहां ऑक्सीजन का मनुष्य के स्वास्थ्य से सीधा संबंध प्रकट होता है। हमारे लिए ऑक्सीजन प्राणदायक के रूप में मौजूद है लेकिन इसके विपरित जो जीव इसका उपयोग नहीं करते है, उनके लिए ऑक्सीजन विषाक्त होती है।
ऑक्सीजन की आवश्यकता-
पृथ्वी पर जीवन के लिए ऑक्सीजन बेहद आवश्यक है। बिना ऑक्सीजन के मनुष्य का जिंदा रहना असंभव है। प्राणियों में ऑक्सीजन के माध्यम से ही ऊर्जा का उत्सर्जन संभव हो पाता है तथा श्वसन क्रिया सुचारू रूप से चलती है। शरीर की मूल कोशिकाओं को भी ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। आजकल ऑक्सीजन को कृत्रिम सांस (ऑक्सीजन) के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा है।
ज्वलंत शील क्रियाओं के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता निश्चित रूप से होती है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के माध्यम से ही दहनशील पदार्थों में दहन हो पाता है। इसके साथ ही पदार्थो में जंग लगने की क्रिया हेतु भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। कार्बन डाइऑक्साइड से संबंधित जीवधारियों के लिए भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन ग्रहण करने वाले प्राणियों के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासित की जाती है, जो को कार्बन डाइऑक्साइड लेने वाले जीवों को प्राप्त होती है।