Hindi, asked by maroon5, 1 year ago

One line udaharan for bhakti ras , vatsalya , shant, adhbhut, vibhatsya and bhay ras......

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Answered by isks22
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ras- kisi chapter ya poem ko padhne ke baad jo feelings hum mehsoos karte hain ya jo bhav hame milte hain use ras kehte hain.

ras ke nimn-likhit das bhed hain.
1.shrangar ras-isme nayak-nayika soundrya prem darshaya jata hai.iske do bhed hain-sanyog aur viyog
eg. dekhu tat basant suhava
priya heen mori ur upjava

2.vir ras- utshah, virta ka bhav.
eg.manav samaj mein arun pada
jal jantu beach ho varun pada
is tarah bha-bhakta rana tha
mano sarpo (snakes) mein garun pada

3.vibhats ras- jugupsa namak sthayi bhav, ghrana ka bhav.
eg.ankhen nikal ud jate, chan bhar ud kar aa jate
shav jheebh kheench kar kove (crows), chubhla-chubhla kar khate.

4.hasya ras- has sthayi bhav, hasi ka bhav.
eg.ek chatur nath badi hosiyar, karke shrangar vo bar-bar

5.rodra ras- krodh ki teevrata
eg.ati ras bole vachan kathor
begi dekhao moodh na aaju
ultaun mahi jahn lag tavraju

6.karun ras- shok ka bhav, priy ka viyog, mrityu.
eg.haye ram kase jhele ham apni lajja apna shok
gaya hamare hi hathon se apna rashtrapita parlok.

7.adbhut ras- aascharya janak varnan, vishmay ki avstha.
eg.dekh yashoda shishu ke mukh mein, sakal vishva ki maya
chan bhar ko veh bani achetan, hil na saki komal kaya.

8.bhyanak ras- bhay ki sthithi, bhyanak drashya
eg.baldhi bisal, vikral, jwal-jal mano
lank lilibe ko kal rasna pasari hai.

9.shant ras- parmatma ka dhyan, pooja, varagya, stuti ka bhav
eg.mere to prabhu gir-dhar nagar, doosra na koyi

10.vatsalya ras- mamta ka bhav
eg. maiya mori main nahi makhan khayo
Answered by jayathakur3939
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रस की परिभाषा

भक्ति रस :- इसका स्थायी भाव देव रति है इस रस में ईश्वर कि अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है| अर्थात इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है  उदाहरण :-

अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई

मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई

अदभुत रस की परिभाषा  :- अदभुत रस का  स्थायी भाव आश्चर्य होता है। जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है  उसे ही अदभुत रस कहा जाता है। इसके अन्दर औंसू आना, रोमांच, गद्गद होना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होता है उदाहरण :-

देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया,

क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया।

वीभत्स रस की परिभाषा :- वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है। इसमें घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर अथवा उनके संबंध में विचार करके अथवा उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है | उदहारण :-

सिर पर बैठो काग आँखि दोउ-खात निकारत।  

खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत। ।

शांत रस  की परिभाषा :- शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है शांत रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति या संसार से वैराग्य मिलने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान प्राप्त होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है जहाँ पर न दुःख होता है, न ही द्वेष होता है मनुष्य का मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है और मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है।  उदाहरण :-

मन रे तन कागद का पुतला

लागै बूँद विनसि जाय छिन में गरब करै क्यों इतना।

वात्सल्य रस की परिभाषा :- वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है। इस रस में बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम,माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम,गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है| उदाहरण :-

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।

हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ सोइ, कछु गावै।

भयानक रस की परिभाषा :- भयानक रास का स्थायी भाव भय होता है। जब किसी भयानक अथवा अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने अथवा उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता जागृत होती है उसे भय  कहा जाता है तथा उस भय के उत्पन्न होने के कारण  जिस रस कि उत्पत्ति होती है उस रास को भयानक रस कहा जाता है। इसके अंतर्गत पसीना छूटना,कम्पन,  चिन्ता, मुँह सूखना,  आदि के भाव उत्पन्न होते हैं। उदाहरण :-

आज बचपन का कोमल गात

जरा का पीला पात !

चार दिन सुखद चाँदनी रात

और फिर अन्धकार , अज्ञात !

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