Hindi, asked by darshita93, 1 year ago

One short story on truth in hindi

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Answered by pihu4537
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Hey!!

Here is your story:-

❇️ एकबार एक राजा दरबार में न्याय कर रहा था | उसके सामने दो फरियादी खड़े थे जो न्याय मांगने दरबार में आये थे | राजा ने उन्हें अपना अपना पक्ष रखने कहा दोनों ने बारी-बारी से अपना पक्ष रखा |

❇️ जब पहले व्यक्ति ने अपना पक्ष रखा था तब राजा अपने छोटे से बच्चे के साथ खेलने में व्यस्त थे | उनका ध्यान कम था और जब दुसरे ने अपना पक्ष रखा तो राजा ने उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी जिसके हिसाब से राजा ने अपना फैसला दुसरे फरियादी के हक़ में सुनाया जिसे सुन सभी दरबारी स्तब्ध रह गये क्यूंकि सभी को पहला व्यक्ति निर्दोष लग रहा था पर राजा के सामने सच बोलने की हिम्मत किसी की भी ना थी |

✴️Truth always wins ✴️

❇️ इस बात को दो दिन बीत गये बिना किसी कारण के पहले फरियादी को उसकी सजा काटनी पड़ रही थी जब इस बात के बारे में उस व्यक्ति के घर में बेटे को पता चला तो उसने दरबार में आना तय किया |

❇️ अगले दिन पहले व्यक्ति के बेटे ने दरबार में प्रवेश किया उससे पूछा गया कि वो क्यूँ आया हैं तब उसने राजा से कहा हे राजन ! मैं आपसे एक न्याय चाहता हूँ | राजा ने कहा कैसा न्याय ? तब उसने कहा – एक राज्य हैं, जहाँ मेरे पिता अपनी फरियाद लेकर गये थे और उन्होंने अपना पक्ष रखा लेकिन राजा उनकी बात सुनते वक्त सो गया और जब उठा तो राजा ने दुसरे व्यक्ति की बात पूरी सुनी और उसी के हक़ में फैसला सुना दिया | हे राजन ! अब बताये कि क्या यह फैसला सही हैं ? और ऐसे समय फरियादी और दरबारी को क्या करना चाहिये |

❇️ तब राजा ने उत्तर दिया फैसला बिलकुल सही नहीं हैं और ऐसे वक्त में दरबारी और फरियादी दोनों को राजा को सही बात बोलना चाहिये क्यूंकि फरियादी का बिना बात के दंड सहना पाप हैं और दरबारी भी न्याय का हिस्सा हैं | राजा कोई भगवान नहीं हैं,उससे भी गलती हो सकती हैं | ऐसे में दरबारी को राजा को अपना दृष्टिकोण देने का पूरा हक़ हैं क्यूंकि किसी भी न्याय पर पुरे राज्य की प्रतिष्ठा निर्भर करती हैं | यह सुनकर सभी दरबारी का सिर लज्जा से झुक गया |

❇️ राजा की बात ख़त्म होने पर फरियादी के बेटे ने राजा से कहा – हे राजन ! वह राजा आप हैं,आपने ही मेरे पिता को सजा दी हैं, जब वे अपना पक्ष आपके सामने रख रहे थे आप अपने पुत्र के साथ खेलने में व्यस्त थे,और इस कारण आपने पूरी बात नहीं सुनी और आपके सामने बोलने की हिम्मत किसी की न थी जिसके परिणामस्वरूप पिछले दो दिन से मेरे पिता सजा भोग रहे हैं |

❇️ राजा ने यह बात सुनकर अपना न्याय बदला और दरबारियों को फटकारा | इसके साथ ही राजा ने सत्य बोलने वाले उस फरियादी के पुत्र का अभिवादन किया और उसे धन्यवाद दिया | उसके कारण आज राजा और दरबारी दोनों को बहुत महत्वपूर्ण सबक मिला हैं जिसके पारितोषिक के रूप में राजा ने उस सत्यवादी को राज्य के महत्वपूर्ण पद पर बैठा कर उसे कार्यशाला में नौकरी प्रदान की |

✴️कहानी शिक्षा :✴️

❇️ इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती हैं कि सच बोलने वाले की हमेशा जीत होती है | सच्चाई कैसी भी हो उसका साथ देने से कभी नुकसान नहीं होता | अगर दरबारी की तरह फरियादी का पुत्र भी चुप रहता तो उसके पिता को तो सजा भोगनी पड़ती ही, साथ ही जो सबक राजा और दरबारी को मिला, वो भी नहीं मिलता | एक व्यक्ति के सच बोलने से कई व्यक्तियों का लाभ होता हैं |

❇️ कहानी से यही सबब लेना चाहिये कि हम सदैव सच बोले और साथ ही जिस तरह से राजा ने सत्य को स्वीकार कर अपनी भूल को ठीक किया, उसी तरह हम सभी को अपनी गलती स्वीकारने में शरम नहीं करनी चाहिये अपितु उसे स्वीकार कर उसे ठीक कर,उससे सीख लेना चाहिये |

Hope... It... Helps... You...

maddy0507: thanks
maddy0507: dude nothing like that
maddy0507: just want to be ur friend
maddy0507: if you don't mind
pihu4537: No I don't want to be ur friend
maddy0507: okk
maddy0507: i am sorry for that
pihu4537: It's OK
maddy0507: but plz think
maddy0507: i really want to be ur friend
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