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'महाभारत' मिथक नहीं, बल्कि एक सच्चाई है।" प्रमाण देते हुए सिद्ध कीजिए
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पौराणिक कहानियां
पौराणिक कहानियों में दर्ज घटनाओं को अकसर शक की नजर से देखा जाता है, उनका संबंध देवी-देवताओं से होता है और आज की जनरेशन जब ईश्वर जैसी ताकतों पर विश्वास नहीं करती तो फिर उन घटनाओं पर कैसे उनका भरोसा कायम हो सकता है |
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रामायण या महाभारत
रामायण हो या महाभारत, बहुत से लोग हैं जो ऐसा सोचते हैं कि ये मात्र भ्रामक कहानियां है, वास्तविकता में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई थी। ना तो रावण की कोई सोने की लंका थी और ना ही रावण ने देवी सीता का हरण किया था, ना तो श्रीराम को वनवास मिला था और ना ही उन्होंने रावण कांत किया था।
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महाभारत की कहानी
कुछ इसी तरह महाभारत की कहानी को भी मिथ्या ही माना जाता है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे प्रमाण या साक्ष्यों से अवगत करवाने जा रहे हैं जो आपको ये बताने के लिए काफी हैं कि महाभारत की घटना वास्तविक है।
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इतिहास
सबसे पहला साक्ष्य है महाभारत को ‘इतिहास’ का दर्जा देना। इतिहास हमेशा वास्तविक होता है। इसे लिखने वाला रचनाकार उस समय के हालातों पर पूरी तरह नजर रखता है और साथ ही घटना के बाद या फिर साथ-साथ उसे कलम से उकेरता है। किसी चीज को इतिहास कहना स्वत: ही उसके वास्तविक होने का प्रमाण है। अगर यह कल्पना होती तो उसे महाकाव्य या कथा कहा जाता।
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भारत वंश का प्रमाण
आदिपर्व के अध्याय 62 के अनुसार महाभारत में भारत वंश के सभी राजाओं का जिक्र है। मनु से लेकर आगामी सभी राजाओं को वंशावली में शामिल किया गया है। अगर महाभारत केवल कल्पना होती तो 4-5 राजाओं के विषय में बताकर ही कहानी गढ़ी जा सकती थी।
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"महाभारत मिथ्या नहीं, बल्कि एक सच्चाई है। " इसे सिद्ध करने के लिए कुछ प्रमाण नीचे दिए गए है।
- महाभारत को इतिहास माना जाता है तथा इतिहास सदैव सत्य होता है। किसी बात को इतिहास कहना स्वत ही उसके सत्य होने का प्रमाण है।
- महाभारत में जिन राजाओं का वर्णन किया गया है उनके वंशज आज भी मौजूद है। आदिपर्व के अध्याय 62 में भारत वंश के सभी राजाओं का वर्णन किया गया है।महाभारत यदि केवल एक कहानी होती तो केवल दो तीन राजाओं के नाम बताकर पूर्ण की जाती।
- आजकल की पीढ़ी जब ईश्वर के अस्तित्व में है विश्वास नहीं रखती तब महाभारत को सच्चाई मानना उनके लिए कठिन ही होगा।
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