ओस की बूंद जब लेखक के हथेली पर पड़ी तो किस आवाज आई
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लेखक को सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई दी। लेखक ने सोचा कि कोई बजा रहा होगा। चारों ओर देखा। कोई नहीं।
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जैसे ही लेखक की नज़र ओंस की बूंद पर पड़ी वह ठहर गई। थोड़ी देर में लेखक को सितार के तारों की तरह कुछ संगीत सा सुनाई देने लगा। लेखक ने सोचा कि कोई सितार बजा रहा होगा। उन्होंने चारों ओर देखा पर वहाँ कोई नहीं था जो सितार बजा रहा हो।
फिर अनुभव हुआ कि यह स्वर मेरी हथेली से निकल रहा है। ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि बूँद के दो कण हो गए हैं और वे दोनों हिल-हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रहे हैं मानो बोल रहे हों।
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