ओस के कण कहाँ-कहाँ बिखरे हुए हैं ?
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- कविता में ओस को रतन कहा गया है।यह हरी घास ,पत्ते और फुलो पर बिखरे हुए हैं।
- ओस कणों को देखकर कवि का मन कर रहा हैकी वह अंजलि भर कर इन्हे ले आए और इनको देख -देख कर एक कविता लिखे।
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