Sociology, asked by syedmohammed7337, 7 months ago

औरे भाँति कुंजन में गुजरत भीर भौंर
औरे डौर झौरन पैं, बौरन के हवै गये।
कहैं पद्माकर सु औरे भाँति गलियानि,
छलिया छबीले छैल और छबि छवै गये।
औरै भाँति बिहग-समाज में आवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन वै गये।
औरै रस औरै रीति औरै राग औरै रंग,
औरै तन औरै मन औरै बन ह्वै गये।।
PLZ DO NOT ANSWER RUBBISH.
or i will report.
सन्दर्भ सहित व्याख्या.​

Answers

Answered by jayaramareddy
17

Answer:

औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर,

औरे भांति बौरन के झौरन के ह्वै गए.

कहै ‘पदमाकर’ सु औरे भांति गलियानि,

छलिया छबीले छैल औरे छबि छ्वै गए.

औरे भांति बिहँग समाज में आवाज होति,

अबैं ऋतुराज के न आजु दिन द्वै गए.

औरे रस,औरे रीति औरे राग औरे रंग,

औरे तन औरे मन, औरे बन ह्वै गए.

Answered by ompirkashsingh893349
26

Answer:

Hay mate, here is your Answer:)

Mark me as BRAINLIST!!

Explanation:

Answer is in photo given above:)

Mark me as BRAINLIST!!

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