औरंगजेब की चरित्र की विशेषता
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औरंगजेब भारत देश के एक महान मुग़ल शासक थे, जिन्होंने भारत में कई वर्षो तक राज्य किया. वे छठे नंबर के मुग़ल शासक थे, जिन्होंने भारत में शासन किया. औरंगजेब ने 1658 से 1707 लगभग 49 साल तक शासन किया, अकबर के बाद यही मुग़ल थे, जो इतने लम्बे समय तक राजा की गद्दी पर विराजमान रहे
Answer:
मुहिउद्दीन मोहम्मद (3 नवम्बर 1618 – 3 मार्च 1707), जिन्हें आम तौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया गया शाही नाम जिसका मतलब है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था, भारत पर राज करने वाले छठे मुग़ल शहंशाह थे। उनका शासन 1658 से लेकर 1707 में उनकी मृत्यु तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज़ियादा समय तक राज किया। वे अकबर के बाद सबसे ज़ियादा समय तक शासन करने वाले मुग़ल शहंशाह थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरपूर प्रयास किया पर उनकी मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने शुरू हो गया।
औरंगज़ेब
औरंगज़ेब
छठवें मुग़ल शहंशाह
शासनावधि 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707
राज्याभिषेक शालीमार बाग़ में 13 जून 1659
पूर्ववर्ती शाहजहाँ
उत्तरवर्ती मोहम्मद आज़म शाह (बराए-नाम)
बहादुर शाह I
जन्म मुहिउद्दीन मोहम्मद[1]
3 नवम्बर 1618
दाहोद, मुग़ल साम्राज्य
निधन 3 मार्च 1707 (उम्र 88)
अहमदनगर, मुग़ल साम्राज्य
समाधि औरंगज़ेब का मक़बरा, ख़ुल्दाबाद
महिषी दिलरस बानो बेगम
जीवनसंगी नवाब बाई
औरंगाबादी महल
उदयपुरी महल
संतान
ज़ेब-उन-निसा
मोहम्मद सुल्तान
ज़ीनत-उन-निसा
बहादुर शाह I
बद्र-उन-निसा
ज़ुब्दत-उन-निसा
मोहम्मद आज़म शाह
सुल्तान मोहम्मद अकबर
मेहर-उन-निसा
मोहम्मद कामबख़्श
पूरा नाम
अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर
शासनावधि नाम
आलमगीर
घराना तैमूरी
राजवंश मुग़ल ख़ानदान
पिता शाहजहाँ
माता मुमताज़ महल
धर्म सुन्नी इस्लाम
औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के शिखर पर पहुंचा। वे अपने समय के शायद सबसे दौलतमंद और ताक़तवर शख़्स थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के के ज़रिए मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और 15 करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का 1/4 था।
औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर शरियत आधारित फ़तवा-ए-आलमगीरी लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुसलमानों पर और ज़ियादा कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान प्रजा पर शरी'अत लागू करने वाले वे पहले मुसलमान शासक थे। उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में मुग़ल नौकरशाही में काफ़ी ज़ियादा हिंदुओं को नियुक्त किया और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दारा शिकोह के साथ मिलकर बग़ावत करने के जुर्म में मृत्युदंड दिया था।
शुरूआती जीवन
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