औरत के भेस में उत्तर के रथ पर अर्जुन को दुर्योधन को क्या कहा?
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गुरुद्रोणाचार्य ने भीष्मपितामह को वचन दिया था कि वे कौरववंश के राजकुमारों को ही शिक्षा देंगे और अर्जुन को वचन दिया था कि तुमसे बड़ा कोई धनुर्धर नहीं होगा। बस इस वचन की लाज रखने के कारण ही गुरुद्रोणाचार्य ने एकलव्य का अपना शिष्य नहीं बनाया और जब उन्हें पता चला कि एकलव्य तो सबकुछ सीख गया है। तब उन्होंने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में अंगुठा मांग लिया। द्रोणाचार्य ने जिस अर्जुन को महान सिद्ध करने के लिए एकलव्य का अंगूठा कटवा दिया था, उसी अर्जुन के खिलाफ उन्हें युद्ध लड़ना पड़ा और उसी अर्जुन के पुत्र की हत्या का कारण भी वे ही बने थे और उसी अर्जुन के साले के हाथों वे मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
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