ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है। इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
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उत्तर :
विभिन्न रासायनिक कारणों से ओज़ोन परत को बहुत तेजी से नुकसान हो रहा है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छेद(hole) उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में मौजूद पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी है जो कैंसर, मोतियाबिंद और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओज़ोन परत पराबैंगनी(UV) किरणों का अवशोषण कर लेती हैं।
इस नुकसान को कम करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। अब क्लोरोफ्लोरोकार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग शुरू किया गया है। जिसमें ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले क्लोरीन (Cl)या ब्रोमीन(Br) नहीं है।
दुनिया भर की सरकारों को निम्नलिखित कार्य तेजी से करनी चाहिए :
१.सुपर सोनिक विमानों का कम से कम उपयोग करना चाहिए।
२.नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण होना चाहिए।
३.क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) के प्रयोग को सीमित करना चाहिए।
४.क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) के विकल्प की तलाश।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे “मांट्रियाल प्रोटोकाल” कहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जाए। भारत ने भी इस प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए। इसका कारण व समाधान एक अत्यंत जटिल एवं गंभीर विषय है। यह विषय अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों, नीति निर्धारकों व अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच बहस वा चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। इस विषय पर लगातार खोज जारी है।
ओजोन क्या है
ओजोन एक वायुमण्डलीय गैस है या आॅक्सीजन का एक प्रकार है। आॅक्सीजन (O) के दो परमाणुओं (Atoms) से जुड़ने से आॅक्सीजन गैस (O2) गैस बनती है, जिसे हम सांस लेते समय फेफड़ों के अंदर खींचते हैं। तीन आॅक्सीजन परमाणुओं के जुड़ने से ओजोन (O3) का एक अणु बनता है। इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे तीव्र गंध आती है।
ओजोन गैस ऊपर वायुमण्डल (Stratosphere) में अत्यंत पतली एवं पारदर्शी परत बनाते हैं। वायुमंडल में व्याप्त समस्त ओजोन का कुल 90 प्रतिशत भाग समताप मंडल में पाया जाता है। वायुमंडल में ओजोन का कुल प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रत्येक दस लाख वायु अणुओं में दस से भी कम ओजोन अणु होते हैं।
ओजोन की कुछ मात्रा निचले वायुमंडल (क्षोभमण्डल) में भी पाई जाती है। रासायनिक रूप से समान होने पर भी दोनों स्थानों पर ओजोन की भूमिका महत्वपूर्ण है।
समताप मंडल में यह पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (Utraviolet Radiation)से बचाने का काम करती है।
क्षोभमण्डल में ओजोन हानिकारक संदूषक (Pollutants) के रूप में कार्य करती है और कभी-कभी प्रकाश रासायनिक धूम भी बनाती है।
क्षोभमण्डल में यह गैस बहुत कम मात्रा में भी मानव के फेफड़ों, तंतुओं तथा पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है।
मानव जनित औद्योगिक प्रदूषण के फलस्वरूप क्षोभमण्डल में ओजोन की मात्रा बढ़ रही है और समताप मंडल में जहाॅं इसकी आवश्यकता है, ओजोन की मात्रा घट रही है।