पांच वृक्ष के नाम और उनके ऊंचाई और उपयोगिता बताएं ऊंचाई और उपयोगिता ही मेन है उसी को बताओ
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भारत में पादप अध्ययन प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। आयुर्वेद विज्ञान के अंतर्गत सहस्त्रों पौधों के आकार, प्राप्तिस्थान तथा उनके गुणों के बारे में कई हजार वर्ष पूर्व किए गए उल्लेख मिलते है। भारत का लगभग १९ प्रतिशत भूभाग वनों से ढका है। उत्तम कोटि के पादप, जैसे अनावृतबीजी तथा आवृतबीजी की लगभग ३०,००० जातियाँ इस देश में पाई जाती हैं। वनस्पति विज्ञान की आधुनिक रीति से क्लार्क (१८९८ ई०), हूकर (१८५५ तथा १९०७ ई०), इथी, हेंस, कांजीलाल, डी० चटर्जी जी० एस० पुरी इत्यादि ने भारतीय पौधों तथा वृक्षों का विशेष अध्ययन किया है, जैसे ‘वन’ के बारे में चैंपियन तथा ग्रिफिथ और जी० एस० पुरी, ‘घास’ तथा ‘चारागाह’ के बारे में रंगनाथन्, ह्वाइट ।
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पांच वृक्ष के नाम
1.Acacia – बबूल, कीकर
Scientific Name – A. plicatum
2. Bamboo – बांस
Scientific Name – Bambusoideae
3. Date palm – खजूर
Scientific Name – Phoenix dactylifera
4. Neem – नीम
Scientific Name – Azadirachta indica
5.Sandal – चन्दन
Scientific Name – Santalum album
ऊंचाई और उपयोगिता
1.Acacia – बबूल, कीकर =5 मीटर से 20 मीटर
उपयोगिता = बबूल वृक्ष का लगभग हर हिस्सा किसी न किसी उद्देश्य से उपयोग किया जाता है।बबूल की सैप वुड को तेजी से ह्रदय की लकड़ी से सीमांकित किया जाता है और सफेद, सफेदी युक्त होता है और एक्सपोज़र पर हल्का पीला हो जाता है। दिल की लकड़ी गुलाबी भूरे रंग की होती है और उम्र बढ़ने पर लाल भूरे रंग में बदल जाती है। जबकि लकड़ी मजबूत और टिकाऊ है, इसका उपयोग विभिन्न रचनात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इसके अलावा बबूल वृक्ष की पत्तियों, छाल, गोंद और फली का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
3.Date palm – खजूर
=15-25 मीटर
4.neem= 15-20 और 35-40 मीटर ।
उपयोगिता:
१- नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है।
२- नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
३- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है।
4.नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
5. नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी में लाभ मिलता है।
5.Sandal – चन्दन= 18 से लेकर 20 मीटर
उपयोगिता:इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का अगरबत्ती, हवन सामग्री, तथा सौगंधिक तेज के निर्माण में होता है।
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