Hindi, asked by anassherkhan01, 3 months ago

पंचायत के महत्व पर 10 वाक्य लिखिए​

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Answered by SACHINGOTHWAL1976
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ग्राम पंचायत के कार्यों को मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा जा सकता है- अनिवार्य कार्य और ऐच्छिक कार्य । सभी राज्यों में पंचायुतों के ये अनिवार्य और ऐच्छिक कार्य एक जैसे नहीं हैं । अधिकांशतया सभी राज्यों में पीने के पानी की व्यवस्था, स्थानीय सड़कों और मार्गों का निर्माण और रख-रखाव, जल की निकासी का प्रबन्ध, बांधों का निर्माण, कुँओ उत्नैर तालाबों का निर्माण और रख-रखाव तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों की व्यवस्था पंचायतों के अनिवार्य कार्य हैं ।

इसके अलावा प्रकाश का प्रबन्ध, मेलों और बाजारो की व्यवस्था और नियत्रण भी पंचायतें ही करती है । पशुओं के लिए चरागाह की व्यवस्था, वाहनों के ठहरने का स्थान, कसाई-घर, सफाई की व्यवस्था आदि भी इनके अनिवार्य कार्य हैं । साथ ही इन्हें गाँव में पैदा होने वाले बच्चे तथा मृत्यु होने वाले व्यक्तियों के पंजीकरण का काम भी सौंपा गया है । पंचायतों के ऐच्छिक कार्यों के अन्तर्गत कुछ ऐसे कार्य आते हैं, जो ग्रामीण जनता के कल्याण कार्य हैं, लेकिन पंचायतें स्वेच्छा से इन्हें अपने हाथ में ले सकती हैं ।

ऐसे कार्यो में पढ़ाई की व्यवस्था के लिए स्कूल, स्वारस्य सुधार के लिए डिस्पेन्सरी आदि खोलना, सार्वजनिक वाचनालय और पुस्तकालयों की व्यवस्था, खेल के मैदानों की व्यवस्था, पेड़ लगाने कार्य, स्नानघरों तथा पशुओं के लिए शेडों का निर्माण, पशुओं की चिकित्सा की व्यवस्था आदि अनेक कार्य सम्मिलित हैं ।

आमदनी के साधन:

पंचायतों की आमदनी के साधन मौटे तौर पर दो भागों में बाँटे जा सकते हैं-स्वयं जमा किये करो आदि से आय तथा सरकार द्वारा प्रदान किया गया धन, प्रत्येख पचायत गृहकर और सफाई-कर लगाती हैं और जनता से वसूल करती है ।

गॉव के कूडा-करकट, गोबर तथा मृत पशुओं की लाशों आदि की बिक्री से प्राप्त आमदनी भी पंचायतों के पास आती है । जिला प्रशासन द्वारा किये गए जुर्माने, कोर्ट फीस हरजाने के रूप में प्राप्त राशि आदि पंचायतों को प्रतिवर्ष अनुदान देती हैं ।

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