. पंचतंत्र की कहानियों में से किसी एक मनपसंद कहानी को अपने शब्दों में लिखिए ।
न.please answer for this question
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Panchtantra ki Kahaniya – किसी तालाब के किनारे के कछुवा रहता था और उसी तालाब में दो हंस भी रहते थे जिसके कारण हंस और कछुवा में दोस्ती हो गयी थी हंस दूर दूर तक उडकर जाते और लोगो की बाते सुनकर कछुवा को बताते जिससे कछुवा बड़ा प्रसन्न होता था इस तरह हंस मुनियों ज्ञानियों की बाते सुनते और सारा ज्ञान कछुवे को भी देते लेकिन कछुवा बहुत ही बोलता रहता था वह एक मिनट के लिए चुप नही रह पाता था जिसके कारण उसके मित्र उसे समझाते की कभी कभी हमे चुप होकर दुसरो की बाते भी सुननी चाहिए लेकिन कछुवा अपने आदत से लाचार था.
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एक दिन हंसो ने सुना की यहाँ अब सुखा पड़ने वाला है तो यह बात तुरंत कछुवे को भी बताई और कछुवा उनसे अपनी जान बचाने को बोला तो ठीक है हम तुम्हारी मदद करते है क्यूकी तुम हमारे मित्र भी हो और फिर हंस पास से एक लकड़ी की टहनी लेकर आया और बोला दोनों किनारों से हम अपने चोच से पकड़ते है तुम बीच में अपने दातो से लकड़ो को पकड़ लेना इस प्रकार उड़कर हम दुसरे दूर तालाब में चले जायेगे,
लेकिन एक बात का ध्यान रखना बीच में कही नही बोलना है या भूल से मुह खोलना. यह सारी बाते सुनकर कछुवे ने हामी भर दी और फिर इस प्रकार हंस कछुवे को लेकर उड़ने लगे तो रास्ते में पास के गाव में यह नजारा बच्चो ने देखा तो चिल्लाने लगे की वो देखो कछुवा उड़ रहा है.
सब बच्चे इतने तेज से चिल्ला रहे थे की कछुवे से रहा नही गया और और बोलना चाहा तो हंसो ने समझाया की मुह भूल से भी न खोले वरना प्राण भी जा सकते है लेकिन कछुवा बच्चो की आवाज सुनकर चुप न रह सका और बोलने के लिए अपना मुह खोल दिया. और इस प्रकार ऊचे आकाश से कछुवा जमीन पर धडाम से गिर पड़ा जहा वही पर उसकी मौत हो गयी.
सफलता के शॉर्टकट की हिन्दीकहानी
कहानी से शिक्षा
हमे कुछ भी बोलने से पहले वहा की परिस्थिति को समझ लेना आवश्यक होता है क्यूकी बिना किसी कारण के बार बार बोलना भी कभी कभी बहुत महंगा पड़ता है इसलिए हमे अक्सर कहा भी जाता है हमे उतना ही बोलना चाहिए जहा जितनी ही जरूरत हो.
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ह.