Social Sciences, asked by vishnu4172, 10 months ago

पांडुलिपि के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन सी समस्याएं आति थी

Answers

Answered by imraushanraaz
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Explanation:

1. उस काल में छापेखाने नहीं थे, इसलिए लिपिक हाथ से ही पांडुलिपियों की प्रतिकृति लिखते थे परिणामस्वरूप, किसी भी दो प्रतियों के बीच एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अंतर था।

2. प्रतिलिपियां बनाते समय लिपिक कई शब्द या वाक्य बदल देते थे। इस प्रकार पांडुलिपि के मूल रूप परिवर्तन आ जाता था। इस प्रकार शताब्दी दर शताब्दी प्रतिलिपियां बनती रहती और अंत में मूल ग्रंथ की अलग-अलग प्रतिलिपियां बन गई।

3. एक ही ग्रंथ की अलग-अलग प्रतिलिपियों के कारण हमें बाद के लिपिकों द्वारा बनाएगी प्रतिलिपियों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसके लिए इतिहासकार को एक ही ग्रंथ की कई पांडुलिपियों को पढ़ना पड़ता है। ताकि वह यह जान सके कि लेखक ने मूल रूप से क्या लिखा था।

4. लेखक कई बार स्वयं भी अपनी मूल पांडुलिपि में संशोधन करता रहता था । उदाहरण के लिए 14 वीं शताब्दी के इतिहासकार ज़ियाउद्दीन बरनी ने अपना वृत्तांत दो बार लिखा था। इन दोनों में अंतर पाया जाता है।

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