पंक्तियों का अर्थ लिखो:
१) "निराशा उसको होती है आशावान होता है।"
२) "सुखी वह है, जमीं से जो जुड़ा इंसान रहता है।"
Answers
हमें कोई भी काम अपना कर्तव्य समझकर करना चाहिए उस काम में सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी पहले आशा नहीं करना चाहिए हमें कोशिश करते रहना चाहिए यह सोचकर अगर हम काम करेंगे तो हमें निराशा नहीं होगी
निराशा उसको होती है आशावान होता है।
व्याख्यात्मक अर्थ = निराशा उसको होती है, जो आशावान होता है। क्योंकि जहां आशा है, वहीं निराशा है और जहां निराशा है, वही आशा है। आशा और निराशा का चोली-दामन का साथ है। आशावान व्यक्ति अपने मन में एक आशा लिए रहता है, वह अपनी आशा की पूर्ति के लिए प्रयासरत रहता है। कभी-कभी ऐसा होता है किसी कारणवश किसी विपरीत परिस्थिति वश किसी अन्य कारणवश वो अपने लक्ष्य का संधान नहीं कर पाता, लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर पाता तो उसमें निराशा का भाव उत्पन्न होता है। वह अपनी निराशा को अपने पुनः प्रयास द्वारा आशा में बदल सकता है। कहने का तात्पर्य यह है जिसके अंदर आशा है जो मन में एक आशा लिए है, उसकी आशा की पूर्ति न होने पर ही निराशा उत्पन्न होती है। जिसके मन में कोई आशा ही नहीं है, वह निराश क्या होगा।
सुखी वह है, जमीं से जो जुड़ा इंसान रहता है।
सच्चा सुखी वही है, जो जमीन से जुड़ा है। क्योंकि संसार में जो भी सुख हैं वे भ्रमित कर देने वाले हैं। ये सुख पल भर की खुशी ही देते हैं और उन सुखों के भ्रम में आकर लोग कारण हवा में उड़ने लगते हैं अर्थात उनके पांव जमीन पर नहीं टिकते। एक समय ऐसा आता है, जब उनका यह भ्रम टूट जाता है और वे धड़ाम से जमीन पर आकर गिरते हैं। यही उनके दुखों का, उनके कष्टों का कारण बनता है। लेकिन जो लोग अपनी जमीन से जुड़े रहते हैं, अपनी वास्तविकता, अपनी सत्यता को पहचानते हैं वे भ्रमित कर देने वाल सुखों के पीछे नहीं भागते। इसके लिए उन्हें हालातों का सामना भी नहीं करना पड़ता है जो क्षणिक सुख के पीछे भागने वाले लोगों को करना पड़ता है। इसलिए जो जमीन से जुड़ा है, उसकी इच्छाएं सीमित होती हैं क्योंकि वह जमीन से जुड़ा है। जहां इच्छाएं कम से कम है वही वही सुख अधिक से अधिक है। ज्यादा से ज्यादा इच्छा दुखों का कारण है। यही कारण है कि जमीन से जुड़े अधिक सुखी होते हैं।