Hindi, asked by shiuli812249, 6 months ago

पिकनिक की विशेषता पर निबंध 200 words please follow me​

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Answered by tanishkaTanu
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Answer:

पिकनिक मनोरंजन का सबसे बेहतरीन साधन है। हम लोग रोज एक जैसी दिनचर्या से ऊब जाते हैं और अपनी जिंदगी में काम और चिंताओ से कुछ समय के लिए मुक्ति चाहते हैं और उसके लिए पिकनिक सबसे अच्छा उपाय है। हमें समय समय पर पिकनिक का प्लान बनाते रहना चाहिए। स्कूल में हमारे सहपाठियों के साथ भी हम पिकनिक पर जा सकते हैं और रविवार के दिन अपने परिवार ते साथ इसका आनंद ले सकते हैं।पिछले रविवार की बात है जब मैं और मेरा पूरा परिवार पिकनिक मनाने के लिए नहर ते पास वाले बगीचे में गए थे। उय दिन मौसम बहुत ही सुहावना था और बादल छाए हुए थे। हम सब जमकर मौसम का आनंद ले रहे थे। हम घर से 9 बजे निकले थे और 10 बजे वहाँ पहुँच गए थे। हमनै खाने पीने, खेल कुद का समान है और चटाई आदि गाड़ी में पहले ही रख ली थी। उस दिन उस बगीचे में बहुत सो लोग आए हुए थे। हम सब ने वहाँ बैठकर बहुत सारी बातें की और फिर नहर के शीतल पानी में नहाने लगे और एक दुसरे के ऊपर पानी डाल रहे थे। तब तक म्मी ने हमारे लिए खाना लगा दिया था और हम लोगों ने स्वादिष्ट पकौड़े और सैंडविच का मजा लिया। हम थोड़ी थोड़ी देर के लिए खुले आसमान के नीचे लेट गए और शुद्ध हवा का आनंद लिया। फिर हमने बैडमिंटन खेला जिसमें मैं और म्मी एक टीम में थे और पापा और मेरी बहन दुसरी टीम में। हमारी टीम जीत गई थी।

Answered by anshbhardwaj457
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Answer:

प्रस्तावना:

मानव में यह स्वाभाविक गुण है कि वह जीवन के हर क्षेत्र में सुख व आनन्द चाहता है । वह हर समय सुख व आनन्द के क्षणो की प्रतीक्षा करता है । वह अपने व्यस्त जीवन में कुछ समय ऐसे कार्यो के लिए भी निकालता है जिसमें वह अपने दुख चिन्ताओ को भूलकर आनन्द में मस्त होकर झूमने लगता है ।

विद्यालय में हम प्रतिदिन पढ़ते है । वहाँ हम सब समूह में रहते हैं । कभी-कभी हमारी इच्छा किसी विशेष स्थल की यात्रा कर सामूहिक आनन्द लेने की होती हैं । किसी विशिष्ट स्थल में समूह के रूप में जाकर वहाँ विभिन्न प्रकार से मनोरंजन करना ही पिकनिक का आनन्द कहलाता है ।

पिकनिक का आयोजन:

जुलाई, अगस्त व सितम्बर में वर्षा ऋतु होती है । समय-समय पर मेघ मालाएँ आकाश को आच्छादित कर मन को लुभाने लगती हैं । इस अवसर पर घूमने जाने की प्रबल इच्चा होती है । परन्तु जब तड़क-भड़क के साथ बादल बरसने लगते हैं तो घूमने का चाव समाप्त हो जाता है । जुलाई में विद्यालय खुलने के बाद हम सभी छात्रों ने किसी दिन पिकनिक जाने का प्रस्ताव अपने अध्यापक के सामने रखा ।

अध्यापक महोदय ने कहा वर्षा समाप्तिं पर जिस दिन मौसम साफ रहेगा, उस दिन पिकनिक मनायी जायेगी । हम कई दिनों से उस दिन की प्रतीक्षा करने लगे जब हम पिकनिक के लिए जायेंगे । अकबर के पहले सप्ताह में पुन: हमने अपने अध्यापक महोदय को पिकनिक जाने की याद दिलाई । उन्होंने निर्णय किया कि सभी छात्र पिकनिक का खर्चा मिलकर जमा कर लें, फिर हम उसका प्रबन्ध कर लेगे ।

खर्चा इकट्ठा करने पर शनिवार का दिन पिकनिक के लिये तय किया गया । पिकनिक जाने के लिए एक बस की गयी, जिसमें बैठ कर हम सब एक साथ गये । सभी का प्रात: विद्यालय में एकत्रित होने का कार्यक्रम था । हमारे अध्यापक महोदय ने सबको निर्देश दिया कि सभी छात्र प्रात: ठीक आठ बजे तक विद्यालय के प्रांगण में एकत्रित हो जायें ।

पिकनिक की यात्रा:

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हम सब प्रात: आठ बजे अपने विद्यालय के प्रागण में पहुंच चुके थे । सभी छात्र अपने-अपने घर से रवाना, नाश्ता आदि अपने साथ लाये थे । सबके चेहरों पर प्रसन्नता की लहरे दौड़ रही थीं । सभी बालक आनन्द से उछल रहे थे ।

कार्यक्रम के अनुसार हमें पहले एक दो ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल देखने थे और उसके बाद एक स्थान पर बैठकर पिकनिक मनाने का आयोजन किया गया था । इस निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हमारी बस सर्वप्रथम महरौली गयी । वहाँ हमने लगभग एक घण्टे में सब कुछ देख लेना था । हमने, कुतुबमीनार व उसके आस-पास के सभी ऐतिहासिक स्थल देखे ।

उसके बाद हम बस में बैठकर पुराना किला आये । हमने पुराने किले के अन्दर सभी स्थलो को देखा । उसके बाद हम राजघाट, विजय घाट, शक्ति स्थल को देखकर ठीक बारह बजे शान्ति बन पर पहुंच गये । वहों पर नेहरू जी की समाधि के दर्शन कर उस एकान्त स्थल पर हमने पिकनिक का भरपूर आनन्द लिया । यही पर हमारे शेष कार्यक्रम सम्पन्न हुए ।

मनोरंजन के कार्यक्रम:

पिकनिक के प्रत्येक क्षण मनोरंजन के होते हैं । शान्ति वन में बैठ कर सबसे पहले हमने सामूहिक भोज किया । सभी बालक जो भी खाने की वस्तुएँ घर से लाये, सबको एकत्र कर लिया । अध्यापक महोदय भी हमारे साथ शामिल थे । वहाँ पर विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री एकत्र हो गयी । पूरी-कचौरी, विभिन्न सब्जियाँ, समोसे, पकौड़े, फल, मिठाई आदि सभी लोगो ने मिलकर छीना-झपटी के साथ खाये ।

जैसे ही कोई एक चीज खाने को तैयार होता तो दूसरा उसको उसके हाथ से छीनकर अपने मुँह में डाल लेता था । एक लड़का एक मिठाई का टुकड़ा अपने दूसरे साथी की तरफ बढ़ाता था, परन्तु उसके हाथ आगे करते ही उसको वह अपने मुँह में डाल लेता था । इस प्रकार बड़े आनन्द के साथ हमारे खाने का कार्यक्रम समाप्त हुआ । उसके बाद हम सब छात्र एक निश्चित है हावर बैठकर अन्य कार्यक्रम करने लगे ।

कुछ छात्रो ने ऐसे चुटकुर गीत सुनाये कि थोड़ी देर के लिए मानो हम संगीत के सागर में गोतैं लेगाने लगे, कुछ लड़को ने कविताएँ सुनाई, फिर हमारे अध्यापक ने सभी छात्रो से कहा कि प्रत्येक छात्र अपने-अपने जीवन में घटित एक-एक मनोरंजक घटना सुनायेगा । सभी ने ऐसा किया । फिर सायं पाँच बजे हम वहा से लौटकर अपने विद्यालय के प्रागण में पहुंच गये । वहाँ से अपने-अपने घर चले गये ।

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