Hindi, asked by karamabiryadav011, 3 months ago

पृकती यहां एकान्त बैठी निज रूप संवारति​

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Answered by Anonymous
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प्रकृति यहाँ एकांत बैठी निज रूप सँवारती। पल-पल पलटती भेस छनकि छवि छीन-छीन धारति।। बिमल अम्बु-सर-मुकुरन महँ मुख-बिंब निहारति। अपनी छबी पै मोहि आप ही तन-मन बारति।।

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