पालतू गाय की आत्मकथा
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एक गाय हुआ करती थी उसका नाम गायु वह बहुत अच्छी थी उसने बहुत लोगों की मदद भी की थी उसके पास चार टांग थे जबकि मनुष्य के पास तो टांगे होती है तभी भी गाय ने इतनी मदद की थी कितने की कोई नहीं कर पाता उसका इसे सब बहुत प्यार करती थी 1 दिन गायु अपने बचने के साथ खेल रही थी लेकिन सब सो गए थे और इसीलिए एक चोर आकर सबके घर में चोरी करके जा रहा था लेकिन गायु इतना चालाक था कि गायों का बछड़ा भी उतना ही चला था दोनों ने मिलकर गाय चोर को अच्छा सबक सिखाया और सब उससे प्रसन्न हो गए गाय हमेशा इधर-उधर चढ़ता रहता कभी कभी कभी सभी लोग आकर उसे खाना देते तो कभी खुद चरने चला जाता वह अपनी जीवन अच्छे से व्यतीत कर रहा था लेकिन इस सब के बावजूद भी एक वह पालतू गाय था पालतू का इसलिए थी क्योंकि एक बच्चा उसकी रखवाली करता और उसी बच्चे को उसी बच्चे का गाय सबकी मदद करता और वह बच्चा बहुत गरीब था इसीलिए अपने गाय को इतना तंदुरुस्त रखता था कि सबकी वह मदद कर सके और सबके सब के बच्चों के साथ भी खेलता था गाय सबकी मदद करता था इसीलिए गाय के मालिक उस बच्चे को भी सब प्यार करते थे और उसके लिए भी खाना देते थे 1 दिन उस बच्चे को खुदाई करते समय एक सोने का घड़ा मिला वह सब को अपना परिवार मानते थे इसीलिए वह सब को दिखा दिए कि वह एक सोने का घड़ा है और अब वह उसमें जो भी डालता वह दुगना हो जाता था लेकिन सभी गांव वालों ने लालच में आकर उस बच्चे को मार दिया बच्चे को मार देने के बाद सभी ने सोचा कि अगर मैंने बच्चे को मार दिया यह गाय भी मुझे नहीं छोड़ेगा इसीलिए उस गाय को मार दिया
किसी की आत्मकथा लिखना मतलब उसके विषय में कुछ बातें करना ना की बायोग्राफी लिखना जैसे कि इंग्लिश में मैं गाय हूं