Hindi, asked by pushpender39021, 8 months ago

पानी गए न उबरै मोती, मानुष, चून।"- पंक्ति में कौनसा अलंकार है?

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Answered by Prakharsingh05
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श्लेष अलंकार की परिभाषा

श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।

यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। जैसे:

श्लेष अलंकार के उदाहरण

रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।

इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है :

पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए।

पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है. रहीम कहते हैं कि चमक के बिना मोती का कोई मूल्य नहीं ।

पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा ।

जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय ।बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय।

जैसा कि आप ऊपर उदाहरण में देख सकते हैं कि रहीम जी ने दोहे के द्वारा दीये एवं कुपुत्र के चरित्र को एक जैसा दर्शाने की कोशिश की है। रहीम जी कहते हैं कि शुरू में दोनों ही उजाला करते हैं लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है।

यहाँ बढे शब्द से दो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं। दीपक के सन्दर्भ में बढ़ने का मतलब है बुझ जाना जिससे अन्धेरा हो जाता है। कुपुत्र के सन्दर्भ में बढ़ने से मतलब है बड़ा हो जाना।

बड़े होने पर कुपुत्र कुकर्म करता है जिससे परिवार में अँधेरा छा जात है। एक शब्द से ही डो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|

जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं हरि शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है लेकिन उसके दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है बन्दर एवं दूसरा अर्थ है भगवान।

यह दोहा बंदरों के सन्दर्भ में भी हो सकता है एवं भगवान के सन्दर्भ में भी। एक सहबद से डो अर्थ निकल रहे हैं, अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त।।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि रज शब्द से डो अर्थ निकल रहे हैं पहला है अहंकार तथा दूसरा धुल।

एक शब्द से नही दो अर्थ निकल रहे है पहला है पहला प्रेम एवं दूसरा तेल। अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई। दुर्दिन में आंसू बनकर आज बरसने आई ।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ घनीभूत शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ है मनुष्य के मन में कुछ समय से इकट्ठी पीड़ा जो अब आँसू के रूप में बह निकली है। दूसरा अर्थ है मेघ बनी हुई अर्थात बादल जो कुछ दिनों से पानी को इकठ्ठा कर रहे थे वे अब उसे बरसा रहे हैं।

इस उदाहरण में दुर्दिन शब्द से भी दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ है बुरे दिन जब पीड़ा की वजह से आँसू बह रहे हैं। दूसरा अर्थ है बारिश के दिन जब बादल कुछ दिनों से इकट्ठे किये गए पानी को बरसाते हैं।

पी तुम्हारी मुख बास तरंग आज बौरे भौरे सहकार।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ बौरे शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ भौरे के लिए मस्त होना प्रतीत हुआ है। दूसरा अर्थ आम के प्रसंग में प्रतीत हुआ है यहां आम के मंजरी निकलना बताया गया है।

एक शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएंगे।

रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि सिलीमुख शब्द के दो अर्थ निकल रहे हैं। इस शब्द का पहला अर्थ बाण से एवं दूसरा अर्थ भ्रमर से है।

जैसा की आपने देखा इस वाक्य में ही शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

श्लेष अलंकार के बारे में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

Answered by thakedarpro2585
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Explanation:

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